Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Mar, 2025 04:43 PM
अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद सुनीता विलियम्स को अब कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें फिर से धरती पर सामान्य जीवन जीने में वक्त लगेगा क्योंकि अंतरिक्ष में बिताए गए समय के बाद शरीर को सामान्य जीवन के लिए अनुकूलित होने में...
नेशनल डेस्क। अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद सुनीता विलियम्स को अब कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें फिर से धरती पर सामान्य जीवन जीने में वक्त लगेगा क्योंकि अंतरिक्ष में बिताए गए समय के बाद शरीर को सामान्य जीवन के लिए अनुकूलित होने में कई महीने लग सकते हैं।
अंतरिक्ष में हो जाता है शरीर कमजोर
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव में शरीर पर कई शारीरिक, हार्मोनल और मानसिक बदलाव होते हैं। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण सुनीता विलियम्स की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो गई हैं जिससे फिलहाल वे चलने-फिरने में सक्षम नहीं हैं और उन्हें संक्रमण का खतरा भी है। उन्हें फिर से सामान्य स्थिति में लौटने के लिए कई तरह की थैरेपी और व्यायाम की जरूरत पड़ रही है।
मांसपेशी और हड्डियों की मजबूती के लिए क्या किया जा रहा है?
अंतरिक्ष में रहने के दौरान हड्डियों का घनत्व प्रति माह 1-2% घटता है जिससे धरती पर लौटने के बाद फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए सुनीता को सहारे से ट्रेडमिल पर चलने की ट्रेनिंग दी जा रही है साथ ही उन्हें कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट्स भी दिए जा रहे हैं। इसके अलावा हाइड्रोथेरेपी (जल-आधारित व्यायाम) भी किया जा रहा है जिससे उनकी मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिल सके।
यह भी पढ़ें: आयकर विभाग के आंकड़ों में खुलासा: 2024-25 में 5 लाख तक कमाने वालों की संख्या 1.90 Crore
हार्ट की मजबूती के लिए किए जा रहे उपाय
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव में दिल को रक्त पहुंचाने के लिए अधिक पंपिंग करनी पड़ती है जिससे वह कमजोर हो जाता है। पृथ्वी पर लौटने पर सुनीता को चक्कर आना या बेहोशी जैसी समस्याओं का सामना हो सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए उन्हें हल्की साइकिलिंग, रोइंग और तैराकी करने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा रक्त का प्रवाह नियमित करने के लिए टिल्ट टेबल ट्रेनिंग भी दी जा रही है जिसमें व्यक्ति झुकी हुई सतह पर लेटता है।
दिमाग का किया जा रहा अनुकूलन
अंतरिक्ष में रहने के कारण सुनीता के दिमाग में निरंतरता की भावना टूट जाती है जिससे पृथ्वी पर लौटने के बाद असंतुलन, चक्कर आना और प्रतिक्रिया में देरी जैसी समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं से उबरने के लिए सुनीता को अस्थिर सतहों पर चलने की ट्रेनिंग दी जा रही है साथ ही स्थिरता बनाए रखने के लिए बॉल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें न्यूरोमस्क्युलर थेरेपी भी दी जा रही है।
यह भी पढ़ें: बचपन की यादें दिमाग में छुपी रहती हैं, लेकिन हम नहीं कर पाते हैं याद: अध्ययन
आंतों के स्वास्थ्य के लिए किए जा रहे उपाय
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव में भोजन धीमी गति से शरीर में पहुंचता है और लाभकारी बैक्टीरिया की कमी हो जाती है जिसके कारण आंतों की स्थिति खराब हो सकती है। इसके कारण पाचन की समस्या भी हो सकती है। धरती पर लौटने के बाद सुनीता को आंतों के संतुलन और गतिशीलता को ठीक करने के लिए अधिक फाइबर वाला आहार, प्रायोबेटिक सप्लीमेंट्स और तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जा रही है।
आंखों के व्यायाम का महत्व
अंतरिक्ष में रहने के कारण सुनीता को स्पेसफ्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (SANS) का सामना करना पड़ा जिससे उनकी आंखों की तंत्रिका पर दबाव बढ़ा और दृष्टि धुंधली हो गई। इस समस्या को ठीक करने के लिए सुनीता को आंखों के व्यायाम करने की सलाह दी जा रही है। साथ ही उनके आहार में नमक की कम मात्रा और अधिक तरल पदार्थों का सेवन किया जा रहा है ताकि उनकी दृष्टि में सुधार हो सके।
अंत में कहा जा सकता है कि अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने के बाद शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं और इसे सामान्य स्थिति में लाने में समय लगता है। सुनीता विलियम्स इन बदलावों से उबरने के लिए तमाम मेडिकल उपायों का सहारा ले रही हैं। उम्मीद है कि जल्द ही वे फिर से पूरी तरह से स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जीने में सक्षम होंगी।