'चारों तरफ अंधेरा छा गया...' गोंडा ट्रेन हादसे के बाद चीखते-चिल्लाते बदहवास नजर आए यात्री, अपनों को ढूंढ़ते नजर आए लोग

Edited By Yaspal,Updated: 18 Jul, 2024 07:43 PM

after the gonda train accident passengers were seen screaming and distraught

पटरियों से कुछ दूरी पर लोगों की अटैचियां और सामान बिखरे पड़े थे। बोगियों से बचकर बाहर निकले कुछ लोग बदहवास से पटरियों के पास ही बैठे दिखे, तो कई लोग अपनों को ढूंढ़ते नजर आए

नेशनल डेस्कः पटरियों से कुछ दूरी पर लोगों की अटैचियां और सामान बिखरे पड़े थे। बोगियों से बचकर बाहर निकले कुछ लोग बदहवास से पटरियों के पास ही बैठे दिखे, तो कई लोग अपनों को ढूंढ़ते नजर आए। बच गए लोगों को बस एक ही फिक्र थी कि उसके अपने सुरक्षित हैं या नहीं। चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन की आठ बोगियों के बृहस्पतिवार को पटरी से उतर जाने की घटना के बाद मौके पर ऐसा ही दृश्य था। पूर्वोत्तर रेलवे के गोंडा-गोरखपुर रेल खंड पर मोतीगंज तथा झिलाही रेलवे स्टेशनों के बीच दोपहर चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए।

जिलाधिकारी डॉ. नेहा शर्मा ने इस घटना में चार लोगों की मौत की पुष्टि की है। हादसे में 20 अन्य यात्री जख्मी हुए हैं। ट्रेन के कुछ यात्री दोपहर के भोजन के बाद आराम कर रहे थे, वहीं अन्य लोग आने वाले स्टेशन पर उतरने की तैयारी में थे। इसी दौरान मोतीगंज इलाके में यात्रियों को जोरदार झटका लगा और उसके आठ डिब्बे पटरी से उतर गए।

मैंने तेज आवाज सुनी और झटका महसूस किया, जिससे मैं गिर पड़ा
चंडीगढ़ से सीवान जा रहे मणि तिवारी ने बताया, ''हम लोग चंडीगढ़ से सीवान जा रहे थे। बोगी नंबर बी-1 में मेरी 10 और 16 नंबर सीट थी। यहां पर ट्रेन एकदम से पटरी से उतर गई, जिसकी वजह से ट्रेन पलट गई और अनेक लोगों को चोटें लगी हैं।'' ट्रेन के बी2 कोच में यात्रा कर रहे 35 वर्षीय मनीष तिवारी ने बताया, ''मैं खिड़की के पास अपनी सीट पर बैठा था, तभी मैंने तेज आवाज सुनी और झटका महसूस किया, जिससे मैं गिर पड़ा।'' चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही पैसेंजर ट्रेन दोपहर एक बजकर 58 बजे गोंडा स्टेशन से गुजरी। अगला स्टॉपेज बस्ती था, लेकिन मोतीगंज रेलवे स्टेशन से गुजरने के कुछ ही देर बाद ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए।

घटनास्थल पर पुलिस अधिकारी लाउडस्पीकर के जरिये लोगों को बोगियों से दूर रहने की हिदायत देते रहे। मगर पटरी से उतरी बोगियों में अपनों को ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे लोगों पर इसका खास असर नहीं होता दिखा। राहत और बचाव कार्य के लिये मौके पर पहुंचे बचावकर्मी हादसे के कारण टेढ़ी हो चुकी बोगियों में लोगों को तलाश करते दिखे।

बिहार के छपरा तक यात्रा कर रहे ट्रेन के एक अन्य यात्री दिलीप सिंह ने कहा, ''ट्रेन के गोंडा से रवाना होने के बाद मैं सोने के लिए ऊपर की बर्थ पर चढ़ गया। मुझे बस इतना याद है कि दूसरी तरफ ऊपरी बर्थ पर गिरने से पहले मुझे एक जोरदार झटका लगा। मुझे लगा कि जैसे यह कोई सपना है, लेकिन ऐसा नहीं था।'' बोगी के पटरी से उतरने और बाईं ओर गिरने की तेज आवाज के बाद यात्रियों खासकर बच्चों की तेज चीखें सुनाई दीं।

चारों तरफ अंधेरा छा गया
स्लीपर कोच में यात्रा कर रहे संदीप कुमार ने कहा, ''मुझे एक लड़के की तेज चीखें याद हैं जो मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठा था। एक पल के लिए कोच धूल से भर गया और चारों तरफ अंधेरा छा गया। मुझे याद नहीं कि अगले कुछ सेकंड में क्या हुआ। मुझे सिर्फ चीखें याद हैं। यह भी याद है कि किसी यात्री ने मेरा हाथ खींचा और मुझे खिड़की से बाहर निकलने में मदद की।''

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ट्रेन के यात्री झुके हुए स्लीपर कोच की आपातकालीन खिड़कियों और दरवाजों से बाहर निकले और अपना सामान बाहर निकालने की जुगत में लगे रहे। एसी कोच में यात्रियों ने एक-दूसरे की मदद से खिड़कियों के शीशे तोड़कर घायलों और फंसे लोगों को बाहर निकाला। उन्होंने बताया कि बचावकर्मियों के पहुंचने से पहले ही यात्री पास की पटरी के पास बैठ गए और अपने सह-यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। सामान भी पलटे हुए कोच से बाहर निकालकर पास की पटरी पर रख दिया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन से बाहर निकलने के बाद यात्रियों को पास की सड़क और कुछ घरों तक पहुंचने के लिए ट्रैक के दोनों ओर खेतों में घुटनों तक भरे पानी से गुजरना पड़ा। मौके पर पहुंचे जिला प्रशासन के अधिकारियों ने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की।

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