Edited By Rahul Rana,Updated: 25 Dec, 2024 11:53 AM
आगरा के वजीरपुरा इलाके में स्थित अकबरी चर्च उत्तर भारत का सबसे पुराना और ऐतिहासिक चर्च है। इसका निर्माण 1599 में मुगल सम्राट अकबर ने कराया था। खास बात यह है कि क्रिसमस के मौके पर मशहूर गीत "जिंगल बेल" की धुन सबसे पहले इसी चर्च में सुनाई दी थी। यह...
नेशनल डेस्क। आगरा के वजीरपुरा इलाके में स्थित अकबरी चर्च उत्तर भारत का सबसे पुराना और ऐतिहासिक चर्च है। इसका निर्माण 1599 में मुगल सम्राट अकबर ने कराया था। खास बात यह है कि क्रिसमस के मौके पर मशहूर गीत "जिंगल बेल" की धुन सबसे पहले इसी चर्च में सुनाई दी थी। यह चर्च आगरा के सेंट पीटर्स स्कूल के पास स्थित है। हर साल क्रिसमस के मौके पर इसे खूबसूरती से सजाया जाता है और विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन होता है।
कैसे बना अकबरी चर्च?
इतिहासकार राजकिशोर राजे अपनी पुस्तक तवारीख-ए-आगरा में लिखते हैं कि अकबर ने अपनी पत्नी बेगम मरियम की इच्छा पूरी करने के लिए इस चर्च का निर्माण कराया था। अकबर को सभी धर्मों में रुचि थी और वे विभिन्न धर्मों को समझना चाहते थे।
लाहौर के पादरी जेसुइट जेवियर ने चर्च निर्माण के लिए अकबर से जमीन मांगी। बेगम मरियम के कहने पर अकबर ने वजीरपुरा इलाके में जमीन दी और यहीं इस चर्च का निर्माण हुआ।
क्रिसमस पर खास आयोजन
चर्च के फादर राजन बताते हैं कि हर साल 25 दिसंबर को चर्च को विशेष रूप से सजाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग यहां प्रार्थना में शामिल होते हैं। यह चर्च अपनी ऐतिहासिकता के कारण न केवल आगरा बल्कि पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है।
चर्च ने झेले कई संघर्ष
अकबरी चर्च का इतिहास संघर्षों और आक्रमणों से भरा रहा है:
- 1635 में नुकसान: पुर्तगालियों के आपसी मतभेद के कारण चर्च को भारी नुकसान हुआ।
- अहमद शाह अब्दाली का हमला: चर्च पर हमले के दौरान इसे काफी क्षति पहुंची।
- आगजनी की घटनाएं: इतिहास में कई बार चर्च को आग लगाई गई, लेकिन हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया।
जहांगीर ने कराया विस्तार
अकबर के बेटे जहांगीर ने इस चर्च का विस्तार कर इसे और अधिक भव्य बनाया। यह माना जाता है कि यह मुगल काल का पहला ईसाई चर्च था। तमाम आक्रमणों और कठिनाइयों के बावजूद यह चर्च आज भी अपने गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए खड़ा है।
अकबरी चर्च का महत्व
अकबरी चर्च सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है बल्कि यह भारतीय इतिहास में धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का प्रतीक भी है। इसकी स्थापत्य कला और ऐतिहासिकता इसे उत्तर भारत के सबसे खास स्थलों में शामिल करती है।
बता दें कि हर साल क्रिसमस के मौके पर यह चर्च हजारों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को देखने आते हैं।