AI ने सुलझाया मर्डर केस, 19 साल बाद मिला न्याय

Edited By Parminder Kaur,Updated: 07 Jan, 2025 02:30 PM

ai solved the murder case got justice after 19 years

भारत में न्याय की लड़ाई लंबी जरूर हो सकती है, लेकिन देर-सबेर न्याय मिलता जरूर है। एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसका न्याय 19 साल बाद मिला। सबसे खास बात यह है कि इस केस को सुलझाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस...

नेशनल डेस्क. भारत में न्याय की लड़ाई लंबी जरूर हो सकती है, लेकिन देर-सबेर न्याय मिलता जरूर है। एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसका न्याय 19 साल बाद मिला। सबसे खास बात यह है कि इस केस को सुलझाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और टेक्नोलॉजी का अहम योगदान रहा और आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचे।

क्या है पूरा मामला

10 फरवरी 2006 को केरल के कोल्लम जिले के अंचल गांव में संतम्मा घर लौटीं तो उनका सामना एक भयानक दृश्य से हुआ। उनकी बेटी रंजीनी और उसके 17 दिन के जुड़वां बच्चे खून में लथपथ पड़े थे और तीनों के गले काट दिए गए थे। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन दो संदिग्ध दिविल कुमार और राजेश फरार हो गए, जो सेना के जवान थे। इन दोनों को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

AI और टेक्नोलॉजी की मदद से केस सुलझा

समय बीतने के साथ यह मामला ठंडा पड़ता गया, लेकिन कहते हैं न, "न्याय में देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं।" 2023 में केरल पुलिस की तकनीकी खुफिया विंग ने पुराने मामलों की जांच में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया। पुरानी तस्वीरों को मॉडर्न तकनीक से इस तरह विकसित किया गया कि आरोपी 19 साल बाद कैसे दिख सकते हैं। इसका अंदाजा लगाया गया। आखिरकार, एक शादी की फोटो में सोशल मीडिया पर आरोपी से 90% समानता का संकेत मिला और पता चला कि यह फोटो पुडुचेरी के "प्रवीण कुमार" नाम के व्यक्ति की थी। इसके बाद मामले में जांच आगे बढ़ी और राजेश और दिविल कुमार को गिरफ्तार किया गया।

कैसे सुलझा यह केस

केरल के ADGP (लॉ एंड ऑर्डर) मनोज अब्राहम ने बताया कि उनकी टीम ने AI का इस्तेमाल करके आरोपी की पुरानी तस्वीरों को विकसित किया और उनके संभावित लुक के आधार पर सोशल मीडिया पर मौजूद तस्वीरों से मिलाया। एक आरोपी की AI जनरेटेड इमेज फेसबुक पर एक शादी की फोटो से 90% मेल खाई। इसके बाद पुलिस ने प्रवीण कुमार को पुडुचेरी में ट्रैक किया और दिविल का पता लगाया। 4 जनवरी 2025 को CBI ने दोनों आरोपियों को पुडुचेरी से गिरफ्तार किया।

आरोपी और पीड़िता का रिश्ता

पुलिस के अनुसार, दिविल कुमार और रंजीनी एक ही गांव के रहने वाले थे और दोनों के बीच रिश्ते थे। लेकिन जब रंजीनी ने गर्भवती होने की बात की, तो दिविल ने रिश्ते से मुंह मोड़ लिया और पठानकोट चला गया। बाद में राजेश ने 'अनिल कुमार' बनकर रंजीनी से दोस्ती की और उसे मदद का भरोसा दिया। इसी दौरान दोनों ने मिलकर रंजीनी को मारने की साजिश रची।

रंजीनी ने जब DNA टेस्ट की मांग की तो राजेश ने साजिश के तहत रंजीनी की मां संतम्मा को मना लिया और फिर उसने रंजीनी और उसके बच्चों की हत्या कर दी। हत्या के बाद पुलिस को एक बाइक के रजिस्ट्रेशन से पठानकोट के मिलिट्री कैंप तक पहुंचने का सुराग मिला, लेकिन आरोपी वहां से फरार हो गए थे।

न्याय की लंबी यात्रा का अंत

यह केस अब एक मिसाल बन चुका है कि कैसे AI और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके न्याय दिलवाया जा सकता है। 19 साल बाद आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचे और पीड़िता को न्याय मिला। यह घटना साबित करती है कि न्याय का रास्ता भले ही लंबा हो, लेकिन वह कभी न कभी अपने मुकाम तक पहुंचता है।

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