"फर्टिलिटी को समझें और सशक्त बनें सही फैमिली प्लानिंग की दिशा में पहला कदम बढ़ाएं"

Edited By Mahima,Updated: 02 Dec, 2024 05:18 PM

aiims study helps women make empowered decisions on fertility options

AIIMS की नई स्टडी, जिसमें 3,240 महिलाओं को शामिल किया गया, प्रजनन स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण insights देती है। फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. प्राची बेनारा ने बताया कि AMH स्तर और ओवेरियन रिजर्व की सही जानकारी महिलाओं को सशक्त बनाती है। रिसर्च का उद्देश्य...

नेशनल डेस्क: पहली नज़र में, फर्टिलिटी रिसर्च सिर्फ आंकड़ों और मेडिकल शब्दों का एक संग्रह लग सकती है। लेकिन इसके पीछे एक गहरी कहानी छिपी है — महिलाओं के प्रजनन सफर में उनके विकल्पों, सशक्तिकरण और व्यक्तिगत अधिकारों की। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक नई और महत्वपूर्ण स्टडी, जिसमें 3,240 महिलाओं को शामिल किया गया, केवल आंकड़ों से परे जाकर अहम जानकारियाँ सामने लाती है। यह सिर्फ अंडों या समयसीमा की बात नहीं है, बल्कि महिलाओं को सही जानकारी देकर जागरूक बनाने और उनके प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े सही फैसले लेने में मदद करने की बात है।

ओवेरियन रिज़र्व की समझ से अनिश्चितता को अवसर में बदलें
डॉ. प्राची बेनारा, फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, इस स्टडी की प्रमुख खोज पर प्रकाश डालती हैं, "फर्टिलिटी रिसर्च के अनुसार, 31 से 34 साल की उम्र के बीच एंटी-मुलरियन हॉर्मोन (AMH) फर्टिलिटी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है और इसी दौरान ओवेरियन रिजर्व तेजी से घटने लगता है। लेकिन इसे घबराहट का समय नहीं, बल्कि सही कदम उठाने का मौका समझना चाहिए।" इस रिसर्च से पता चलता है कि अपनी फर्टिलिटी को समझना डरने की बात नहीं, बल्कि एक रणनीतिक योजना बनाने का तरीका है। डॉ. बेनारा कहती हैं, "यह एक व्यक्तिगत रोडमैप जैसा है। जानकारी अनिश्चितता को अवसर में बदल देती है।"

आंकड़ों से परे: एक सम्पूर्ण दृष्टिकोण
निःसंतानता की पारंपरिक धारणा अक्सर चिकित्सा जटिलताओं और भावनात्मक अनिश्चितताओं में घिरी रहती है। एम्स की स्टडी इसे चुनौती देते हुए एक अधिक संतुलित दृष्टिकोण पेश करती है। यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि कितने अंडे बचे हैं, बल्कि उन अंडों की गुणवत्ता और माता-पिता बनने का सपना पूरा करने के विभिन्न विकल्पों के बारे में है।

जब तकनीक और सहानुभूति साथ हों
बिरला फर्टिलिटी का दृष्टिकोण चिकित्सा उपचारों से आगे बढ़कर एक संपूर्ण सपोर्ट सिस्टम प्रदान करता है। एंटी-मुलेरियन हार्मोन (AMH) टेस्ट और एंट्रल फॉलिकल काउंट (AFC) जैसे उन्नत डायग्नोस्टिक उपकरण सिर्फ मेडिकल प्रक्रियाएं नहीं हैं, बल्कि प्रजनन क्षमता को समझने के रास्ते हैं। डॉ. बेनारा ज़ोर देकर कहती हैं। "हम केवल उपचार नहीं करते, बल्कि हर कदम आपके साथ हैं। हर महिला को अपने शरीर, विकल्पों और समयसीमा को समझने का हक़ है।"

मनोवैज्ञानिक परिदृश्य
फर्टिलिटी योजना का भावनात्मक पहलू शायद सबसे अहम है। स्टडी बताती है कि जानकारी केवल शक्ति नहीं है, बल्कि मुक्ति है। महिलाएं सिर्फ चिकित्सा सलाह की निष्क्रिय प्राप्तकर्ता नहीं हैं, बल्कि अपने प्रजनन सफर की सक्रिय रचनाकार हैं। एक मरीज ने बताया, "अपनी फर्टिलिटी को समझने से मुझे आत्मविश्वास मिला कि मैं अपने जीवन के फैसले अपने तरीके से ले सकूं। यह डर की नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की बात है।"

विकल्प चुनने की एक नई कहानी
यह रिसर्च निःसंतानता से जुड़ी पारंपरिक और अक्सर चिंता पैदा करने वाली चर्चाओं को चुनौती देती है। यह बायोलॉजिकल प्रेशर की बात नहीं है, बल्कि विकल्पों की है। चाहे कोई महिला जल्दी माँ बनना चुने, अंडों को फ्रीज़ करे या अन्य विकल्प अपनाए, लक्ष्य यही है कि वह जानकारी के आधार पर खुद के लिए सही निर्णय ले सके। हम केवल फर्टिलिटी की पुष्टि नहीं कर रहे हैं," डॉ. बेनारा कहती हैं, "हम महिलाओं को उनके माँ बनने की संभावनाएँ समझने में मदद कर रहे हैं।"

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