भाईचारे का प्रतीक है अजमेर शरीफ दरगाह, यहां हर मन्नत होती है पूरी

Edited By vasudha,Updated: 20 Oct, 2020 12:35 PM

ajmer sharif dargah is a symbol of brotherhood

भारत एक ऐसा देश हैं जहां कई जाति और धर्म को मानने वाले लोग बहुत ही प्रेम से रहते हैं और भाईचारे का परिचय देते हैं। यहां कई ऐसे तीर्थ स्थान हैं जहां हर धर्म के लोग आस्था के साथ जाते हैं। राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ की दरगाह भी सबसे मशहूर मुस्लिम...

नेशनल डेस्क: भारत एक ऐसा देश हैं जहां कई जाति और धर्म को मानने वाले लोग बहुत ही प्रेम से रहते हैं और भाईचारे का परिचय देते हैं। यहां कई ऐसे तीर्थ स्थान हैं जहां हर धर्म के लोग आस्था के साथ जाते हैं। राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ की दरगाह भी सबसे मशहूर मुस्लिम धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है। यहां दूर दूर से लोग मन्नत मांगने आते हैं। 

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ख्वाजा गरीब नवाज़ दरगाह अजमेर, हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा है। जो भारत में इस्लाम के संस्थापक थे। वह दुनिया में इस्लाम के महान उपदेशक के रूप में थे। वह अपनी महान शिक्षाओं और शांति के प्रचारक रूप में जाने जाते हैं। यह सूफी संत परसिया से आये थे। अजमेर में सभी के दिलों को जीतने के बाद सन 1236 में उनका निधन हो गया। यह सूफी संत ख्वाजा गरीब के नाम से भी जाने जाते थे।

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अजमेर शरीफ में हर साल यहां लाखों की तादाद में हर जाति और धर्म के लोग सिर झुकाते हैं। दरगाह में चादर किसी न किसी खादिम के जरिये ही चढ़ाई जा सकती है। चादर पर गुलाब के फूल व इत्र रखे जाते हैं। इत्र-फूलों से महकती चादर को श्रद्धालु सिर पर रखकर मजार तक ले जाते हैं। अजमेर शरीफ के भ्रमण के दौरान आपको विभिन्न स्मारक उल्लेखनीय इमारतें मिलेंगी। इन सभी इमारतों का निर्माण भारत के विभिन्न शासकों के द्वारा करवाया गया है। यह बहुत पवित्र माना जाता है निजाम गेट के द्वारा अजमेर दरगाह में प्रवेश किया जाता है।उसके बाद शाहजहानी गेट है जिसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने करवाया था। इसके बाद बुलंद दरवाज़ा है, जो कि महमूद खिलजी द्वारा बनवाया गया था।

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यह एक ऐसा स्थान है जहां आप कव्वाली का अद्भुद आनंद ले सकते हैं। वह स्थान जहां कव्वाली का आयोजन किया जाता है, नवाब बशीर-उद-डोवा सर असमान जहाँ के द्वारा बनवाया गया था।यह अनुष्ठान है जिसमें मजार की सफाई की जाती है खिदमत दिन में दो बार की जाती है। एक सुबह 4 बजे अज़ान के वक्त पर दूसरी 3 बजे शाम को। सुबह की खिदमत फजर प्रार्थना के आधे घंटे पहले होती है।

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