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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष Ravindra Puri ने महाकुंभ में मीडिया कवरेज पर उठाए सवाल, IIT बाबा को लेकर कही यह बात

Edited By Mahima,Updated: 23 Jan, 2025 12:19 PM

akhada parishad president ravindra puri raised questions on media coverage

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने महाकुंभ में IIT बाबा, हर्षा रिछारिया और मोनालिसा जैसे चेहरों की मीडिया कवरेज पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मीडिया ने योग्य साधु-संतों को नजरअंदाज किया और नकारात्मकता फैलाई। पुरी ने महाकुंभ को एक दिव्य अवसर...

नेशनल डेस्क: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने महाकुंभ के दौरान कुछ प्रमुख चेहरों की मीडिया में ज्यादा छवि बनाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने विशेष रूप से IIT बाबा, हर्षा रिछारिया और मोनालिसा जैसे यूट्यूबर्स पर आरोप लगाते हुए कहा कि महाकुंभ में मौजूद हजारों योग्य और पढ़े-लिखे साधु-संतों को मीडिया में उचित स्थान नहीं मिल रहा। उनके मुताबिक, इन साधु-संतों में कई ऐसे हैं जो डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, पीएचडी धारक और एमबीबीएस जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति हैं, लेकिन यूट्यूबर्स ने केवल कुछ चुनिंदा चेहरों को ही प्रमुखता दी है। 

महाकुंभ का महत्व केवल एक धार्मिक और सामाजिक आयोजन नहीं
रविंद्र पुरी ने मीडिया के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, "महाकुंभ का महत्व केवल एक धार्मिक और सामाजिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य अवसर है। जहां हर कोई पुण्य अर्जित करने के लिए आता है, वहां मीडिया और यूट्यूबर्स को नकारात्मकता फैलाने की कोई आवश्यकता नहीं है।" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर कभी किसी व्यक्ति को देवता बना दिया जाता है, तो कभी उसे शैतान का रूप दे दिया जाता है। पुरी ने IIT बाबा का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले उन्हें महाकुंभ में एक ज्ञानवान साधु के रूप में प्रस्तुत किया गया, लेकिन बाद में सोशल मीडिया पर उन्हें ड्रग्स लेने और नाचते हुए दिखाया गया। इस पर उन्होंने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया की यह प्रवृत्ति सिर्फ भ्रम फैलाती है और महाकुंभ जैसे पवित्र अवसरों को गलत तरीके से पेश करती है।

माला बेचने वाली लड़की का भी इंदौर से प्रयागराज आना
पुरी ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया के प्रभाव से न केवल साधु-संतों, बल्कि आम लोगों की छवि भी बदल जाती है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक माला बेचने वाली लड़की का भी इंदौर से प्रयागराज आना और फिर उसकी नकारात्मक छवि बनाना एक उदाहरण है, जिससे दर्शकों को गलत संदेश जाता है। पुरी ने यह भी कहा कि कई बार यूट्यूबर्स ने संतों को अपमानित किया है, जैसे उन्हें थप्पड़ मारते या चिमटे से मारते हुए दिखाया गया है, जो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है।

144 साल बाद हो रहा महाकुंभ 
रविंद्र पुरी ने महाकुंभ को एक ऐतिहासिक और पवित्र आयोजन करार देते हुए कहा कि इस वर्ष का महाकुंभ 144 साल बाद हो रहा है, और यह अवसर आने वाली पीढ़ी को भी नहीं मिलेगा। इसलिए, उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और पुण्य अर्जित करें। पुरी ने कहा, "यह एक दिव्य समय है, जहां हर किसी को आकर धर्म, तपस्या और साधना का लाभ उठाना चाहिए।"

पूरी जिंदगी तपस्या में बिताई
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने यह भी बताया कि महाकुंभ में कई साधु-संत ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी तपस्या में बिताई है। उनके अनुसार, साधु-संतों का आचरण और उनका जीवन इतना सरल और पवित्र होता है कि हमें उनका सम्मान करना चाहिए, न कि उनके बारे में झूठी और नकारात्मक बातें फैलानी चाहिए। रविंद्र पुरी ने मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि उन्हें नकारात्मकता फैलाने के बजाय महाकुंभ की वास्तविकता को सही तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने इस अवसर को एक दिव्य अवसर बताया और सभी से अपील की कि वे इस मौके पर पुण्य अर्जित करने के लिए आएं, न कि किसी की छवि को धूमिल करने के लिए। 

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