Edited By Tanuja,Updated: 30 Dec, 2024 05:04 PM
एक तरफ जहां दुनिया नए साल का स्वागत करने के लिए उत्साहित है, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (AIMJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दारुल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ...
International Desk: एक तरफ जहां दुनिया नए साल का स्वागत करने के लिए उत्साहित है, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (AIMJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दारुल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ( Maulana Shahabuddin Razvi) बरेलवी ने इस पर रोक लगाने की बात कही है। मौलाना ने फतवा जारी करते हुए कहा कि नए साल का जश्न मनाना और बधाई देना शरीयत के खिलाफ है और मुसलमानों को इससे बचना चाहिए। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने यह भी कहा कि नए साल पर मुबारकबाद देना शरीयत के खिलाफ है। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे न तो खुद बधाई दें और न ही दूसरों की बधाइयों को स्वीकार करें।
मौलाना रजवी के मुताबिक, नए साल का जश्न ईसाई धर्म की धार्मिक परंपराओं का हिस्सा है। इस्लाम में अन्य धर्मों की परंपराओं का पालन करना वर्जित है। उन्होंने कहा, "मुसलमानों को अपनी धार्मिक परंपराओं के मुताबिक जीवन जीना चाहिए और गैर-इस्लामी गतिविधियों से बचना चाहिए। नए साल का जश्न शरीयत का उल्लंघन है।" मौलाना ने खासतौर पर युवाओं को चेताया है कि वे नए साल से जुड़े किसी भी प्रकार के कार्यक्रम जैसे पार्टियां, आतिशबाजी, नाच-गाना और सोशल मीडिया पर बधाई देने जैसी गतिविधियों से दूर रहें। उन्होंने कहा, "ऐसे काम करने से मुसलमान गुनाहगार हो सकता है। शरीयत इन सब बातों की इजाजत नहीं देती।"
फतवे में यह भी कहा गया है कि मुसलमानों को गैर-इस्लामी परंपराओं से बचना चाहिए। जनवरी में मनाया जाने वाला नया साल ईसाई परंपराओं का हिस्सा है, जिसे इस्लाम में मान्यता नहीं दी जा सकती। मौलाना रजवी के इस फतवे ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध मान रहे हैं।