Edited By rajesh kumar,Updated: 13 Feb, 2025 04:29 PM

वक्फ संसोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की, लेकिन इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी आपत्ति जताई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि भारत में अपनी...
नेशनल डेस्क: वक्फ संसोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की, लेकिन इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी आपत्ति जताई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि भारत में अपनी जायदाद पर सिखों और हिंदुओं का जितना हक है, उतना ही हक मुस्लिमों का भी है।
वक्फ पर मौजूदा कानून भारतीय संविधान के तहत
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि वक्फ पर मौजूदा कानून भारतीय संविधान के तहत आता है और यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत है। उन्होंने बताया कि सिख अपनी जायदाद अपने तरीके से चलाते हैं और हिंदू भी स्वतंत्र हैं, इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन उनका कहना था कि नए बिल के मुताबिक वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुसलमानों को शामिल किया जाएगा और इस बोर्ड में सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी का मुसलमान होना जरूरी नहीं रहेगा, जिसे बोर्ड ने गलत बताया।
हुकूमत से लड़ाई
खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यह कहना बेकार है कि एक दिन पूरा देश वक्फ के तहत आ जाएगा, यह सरकार की ओर से फैलाया जा रहा भ्रम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई हिंदू-मुसलमान की नहीं है, बल्कि यह उनकी अपनी संपत्ति और अधिकार की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि संविधान में हमें धार्मिक मामलों को चलाने का हक दिया गया है और वे अपनी इस लड़ाई में न्यायप्रिय हिंदुओं से भी समर्थन की उम्मीद करते हैं। इस तरह, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ से जुड़े नए बिल के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट की और इसे संविधान के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन बताया।