Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 17 Apr, 2025 12:05 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर कोई प्रेमी जोड़ा अपनी मर्जी से शादी करता है और उनके माता-पिता उस शादी से सहमत नहीं हैं, तो वे सिर्फ इसी आधार पर पुलिस सुरक्षा नहीं मांग सकते।
नेशनल डेस्क: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर कोई प्रेमी जोड़ा अपनी मर्जी से शादी करता है और उनके माता-पिता उस शादी से सहमत नहीं हैं, तो वे सिर्फ इसी आधार पर पुलिस सुरक्षा नहीं मांग सकते। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक उस जोड़े की जान और स्वतंत्रता को कोई वास्तविक खतरा न हो, तब तक उन्हें सुरक्षा नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने क्या कहा?
यह टिप्पणी एक ऐसे मामले में की गई जिसमें एक कपल ने कोर्ट से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कपल अपनी मर्जी से विवाह करता है और उन्हें कोई गंभीर खतरा नहीं है तो उन्हें आपस में एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए और समाज का सामना करना सीखना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई सही और ठोस कारण होगा तो कानून उनके साथ खड़ा होगा, लेकिन सिर्फ माता-पिता की नाराजगी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कारण नहीं है।
फैसले का असर क्या होगा?
इस फैसले के बाद अब ऐसे मामलों में जहां सिर्फ सामाजिक विरोध हो लेकिन कोई सीधा खतरा नहीं हो, वहां कपल को तुरंत पुलिस प्रोटेक्शन नहीं दी जाएगी। इससे कोर्ट ने साफ संदेश दिया है कि प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को पहले अपने रिश्ते को निभाने और समाज से जूझने की हिम्मत दिखानी होगी।