Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 Jan, 2025 03:03 PM
शिवसेना (उबाठा) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि यदि किसी भी गठबंधन में सहयोगियों के बीच संवाद नहीं रहेगा तो वह गठबंधन सफल नहीं हो सकता। उनका यह बयान उस समय आया है जब शिवसेना (उबाठा) ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने का...
नेशनल डेस्क: शिवसेना (उबाठा यानि उबाठा ) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि यदि किसी भी गठबंधन में सहयोगियों के बीच संवाद नहीं रहेगा तो वह गठबंधन सफल नहीं हो सकता। उनका यह बयान उस समय आया है जब शिवसेना (उबाठा) ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया था। राउत ने इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत और प्रभावी गठबंधन के लिए जिम्मेदार नेताओं की नियुक्ति की आवश्यकता है, खासकर कांग्रेस जैसे बड़े दलों को इस भूमिका में सामने आना चाहिए।
कहा गठबंधन की सफलता के लिए संवाद आवश्यक
राउत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "हमारा यह मानना है कि किसी भी राजनीतिक गठबंधन की सफलता के लिए संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। अगर संवाद टूट जाए तो कोई भी गठबंधन टिक नहीं सकता।" उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना (उबाठा) ने कभी भी इंडिया या महा विकास आघाडी (एमवीए) को भंग करने की मांग नहीं की है, बल्कि वह अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए निकाय चुनाव अकेले लड़ने की योजना बना रही है।
राउत ने उदाहरण देते हुए कहा कि साल 2019 में शिवसेना-भा.ज.पा. गठबंधन का टूटना संवाद की कमी का परिणाम था। "संवाद की कमी ने दोनों पार्टियों के बीच मतभेद पैदा कर दिए थे, जिससे गठबंधन टूट गया। हमें यह समझना चाहिए कि बातचीत और समझौते के बिना किसी भी गठबंधन का विकास संभव नहीं है।"
कांग्रेस को निभानी होगी अहम भूमिका
राउत ने यह भी स्पष्ट किया कि इंडिया गठबंधन के तहत करीब 30 दल हैं, और इन सभी के बीच बेहतर संवाद बनाए रखने के लिए जिम्मेदार नेताओं की नियुक्ति की आवश्यकता है। "कांग्रेस के पास इस समय सबसे बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि वह इस गठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है। उन्हें यह भूमिका निभानी चाहिए ताकि हम सभी मिलकर आगामी चुनावों में सफलता हासिल कर सकें।"
पूर्व या संभावित सहयोगियों को धोखेबाज न कहें
राउत ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा जाए, लेकिन किसी भी स्थिति में पूर्व या संभावित सहयोगियों को धोखेबाज कहना उचित नहीं है। "किसी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने में कोई गलती नहीं है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी को धोखेबाज न कहें, चाहे वह हमारे पूर्व सहयोगी हों या संभावित भविष्य के। यह शिवसेना (उबाठा) का रुख है।"
विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवाल उठा
राउत ने शनिवार को एक बयान में कहा था कि विपक्षी गठबंधन में कई दलों के कार्यकर्ताओं को संगठनात्मक विकास और अवसर नहीं मिल रहे हैं, जिसके कारण शिवसेना (उबाठा) को अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करना पड़ा। इससे विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे हैं। राउत ने कहा कि किसी भी गठबंधन की सफलता का आधार उसकी कार्यकुशलता और सहयोगियों के बीच विश्वास है, और यही कारण है कि उन्होंने संवाद को प्राथमिकता देने की बात की है।
नतीजे की दिशा में सही नेतृत्व जरुरी
राउत ने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, और भविष्य में भी इसे इसी तरह की सफलता की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया कि यदि संवाद कायम रहता है, तो सभी गठबंधन सहयोगी देश की राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।