Edited By Mahima,Updated: 18 Dec, 2024 04:35 PM
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्यसभा में डॉ. अंबेडकर पर की गई टिप्पणी से राजनीतिक घमासान मच गया। ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने इसे अंबेडकर का अपमान बताते हुए कड़ी आलोचना की। शाह का बयान कांग्रेस द्वारा अंबेडकर के योगदान को नकारे जाने के...
नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्यसभा में मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को दी गई संविधान पर चर्चा के दौरान की गई टिप्पणी से भारतीय राजनीति में बवंडर मच गया है। शाह ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद विपक्षी दलों ने इसे डॉ. अंबेडकर का अपमान करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। यह विवाद अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है और विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने अपनी-अपनी राय व्यक्त की है।
अमित शाह का बयान
राज्यसभा में संविधान के 75 वर्षों के अवसर पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि उस समय कांग्रेस ने संविधान निर्माता अंबेडकर का अपमान किया था। शाह ने कहा, "कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर को उचित सम्मान नहीं दिया और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया।" इस टिप्पणी को लेकर विपक्षी दलों ने जमकर हमला बोला है, और इसे संविधान निर्माता का अपमान करार दिया है। अमित शाह की यह टिप्पणी उन लोगों के लिए अपमानजनक मानी जा रही है, जो डॉ. अंबेडकर को भारतीय समाज के लिए महान नेता मानते हैं। भाजपा ने हालांकि यह कहा कि शाह का उद्देश्य केवल ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करना था और किसी भी प्रकार से अंबेडकर का अपमान करना उनका इरादा नहीं था।
ममता बनर्जी की तीखी प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमित शाह की टिप्पणी पर तीखा हमला करते हुए कहा, "मुखौटा उतर गया है!" ममता ने दावा किया कि संविधान के 75 वर्षों के सम्मान में संसद में चर्चा करते हुए, अमित शाह ने इस ऐतिहासिक अवसर को डॉ. अंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके कलंकित किया। ममता ने कहा, "यह भाजपा की जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।" ममता ने आगे आरोप लगाया कि अगर भाजपा को 400 सीटें मिल जातीं तो वे डॉ. अंबेडकर के योगदान को पूरी तरह से मिटाने के लिए इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास करते। उन्होंने कहा, "भाजपा चाहती है कि डॉ. अंबेडकर का योगदान और संविधान की सच्चाई को नकारा जाए। वे नफरत और कट्टरता को अपने अंदर समाहित कर चुके हैं, और इससे देश को बहुत नुकसान हो सकता है।" ममता ने डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता बताया और कहा कि अमित शाह की टिप्पणी केवल अंबेडकर पर नहीं, बल्कि संविधान निर्माण समिति के सभी सदस्यों पर हमला है, जो भारत की विविधता और एकता का प्रतीक थे। "यह टिप्पणी उन लाखों लोगों का अपमान है जो बाबा साहेब को मार्गदर्शन और प्रेरणा के रूप में देखते हैं," ममता ने कहा।
अरविंद केजरीवाल का पलटवार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अमित शाह पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने शाह की टिप्पणी को ‘अंबेडकर का मजाक उड़ाना’ बताते हुए कहा, "देखिए, कैसे अमित शाह जी संसद में बाबा साहेब अंबेडकर का मजाक बना रहे हैं। इन भाजपा वालों का अहंकार इतना बढ़ गया है कि ये किसी को कुछ नहीं समझते। बाबा साहेब इस देश के हर बच्चे के लिए भगवान से कम नहीं हैं।" केजरीवाल ने कहा कि अगर डॉ. अंबेडकर का संविधान नहीं होता तो भाजपा के नेता दबे, कुचले और गरीबों को जीने ही नहीं देते। उन्होंने आगे कहा, "आपने बाबासाहेब का अपमान किया है, लेकिन हिंदुस्तान इसे सहेगा नहीं।" केजरीवाल ने इस सवाल के साथ अपनी बात पूरी की, "अगर अमित शाह को संविधान की असलियत समझ में आती तो वे डॉ. अंबेडकर का सम्मान करते।" केजरीवाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के नेता चंद्रबाबू नायडू से सवाल करते हुए कहा, "क्या आप अमित शाह द्वारा किए गए डॉ. अंबेडकर के अपमान का समर्थन करते हैं?" उनका कहना था कि विपक्षी नेता इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें और बताएं कि वे संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर के सम्मान में खड़े हैं या नहीं।
विपक्ष का एकजुट रुख
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों का रुख एकजुट हो गया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP), और अन्य विपक्षी दलों ने शाह की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि यह न केवल डॉ. अंबेडकर का अपमान है, बल्कि यह भारतीय संविधान की भावना पर भी हमला है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज को समानता और न्याय के मूल्यों की दिशा दिखाई, और उन्हें अपमानित करना भारतीय लोकतंत्र के प्रति भी अवमानना है। कांग्रेस ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "भाजपा के नेता डॉ. अंबेडकर के योगदान को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रकार की बयानबाजी से लोकतंत्र को कोई फायदा नहीं होने वाला।" वहीं समाजवादी पार्टी के नेता ने भी इसे "संविधान का अपमान" करार दिया और भाजपा की आलोचना की।
भाजपा का बचाव
भाजपा ने इस विवाद को अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि अमित शाह का बयान संदर्भ के अनुरूप था और उनका उद्देश्य अंबेडकर का अपमान करना नहीं था। पार्टी ने कहा कि शाह ने केवल कांग्रेस के इतिहास को उजागर किया और बताया कि कैसे अंबेडकर के योगदान को उस समय नकारा गया। भाजपा ने यह भी कहा कि डॉ. अंबेडकर का सम्मान पार्टी के लिए सर्वोपरि है और पार्टी कभी भी उनके योगदान को कम करने की कोशिश नहीं करेगी। भाजपा ने यह भी बताया कि शाह का बयान संविधान के 75 वर्षों के संदर्भ में था, और उनका उद्देश्य केवल उस समय की राजनीतिक स्थिति को सामने लाना था, जिसमें कांग्रेस ने अंबेडकर का सम्मान नहीं किया था। भाजपा ने यह भी साफ किया कि डॉ. अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज और राजनीति में हमेशा रहेगा। अमित शाह की डॉ. अंबेडकर पर की गई टिप्पणी ने भारतीय राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्षी दलों ने इसे संविधान निर्माता का अपमान करार दिया, जबकि भाजपा ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों का खुलासा बताया। यह विवाद भारतीय राजनीति में अंबेडकर के योगदान पर छिड़ी बहस को और तेज कर सकता है और आगामी चुनावों में भी इसका असर देखा जा सकता है।