एक अभिनेता का काम दर्शकों को प्रभावित करना नहीं, बल्कि उनका सही प्रतिनिधित्व करना है : मनोज बाजपेयी

Edited By Parveen Kumar,Updated: 22 Nov, 2024 06:26 PM

an actor s job is not to impress the audience but to represent them accurately

चार बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और पद्म श्री से सम्मानित अभिनेता मनोज बाजपेयी, 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में अपनी नई फिल्म डिस्पैच के प्रचार के लिए पहुंचे।

नेशनल डेस्क : चार बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और पद्म श्री से सम्मानित अभिनेता मनोज बाजपेयी, 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में अपनी नई फिल्म डिस्पैच के प्रचार के लिए पहुंचे। इस फिल्म को IFFI के विशेष प्रस्तुतियों खंड में प्रदर्शित किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, बाजपेयी ने फिल्म की शूटिंग, इसके निर्माण की चुनौतियों और पत्रकारिता के अंधेरे पक्ष पर खुलकर बात की।

फिल्म डिस्पैच की यात्रा और चुनौतियां

मनोज बाजपेयी ने फिल्म की यात्रा के बारे में बताया और निर्देशक कन्नू बहल की सराहना की। उन्होंने कहा, "हमने महामारी के दौरान फिल्म की शूटिंग शुरू की थी, लेकिन बाद में कई मुश्किलों के बावजूद इसे पूरा किया।" फिल्म की कहानी एक पत्रकार की है, जो पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष करता है। बाजपेयी ने यह भी कहा कि स्क्रिप्ट बहुत ही वास्तविक और आकर्षक थी, जो दर्शकों को एक पत्रकार के मानसिक और भावनात्मक संघर्षों में डुबो देती है।

कहानी की गहराई में जाना

बाजपेयी ने कहा कि इस फिल्म में उनके अभिनय की तैयारी बहुत गहन थी, क्योंकि उन्हें एक पत्रकार का किरदार निभाना था। उन्होंने बताया कि यह भूमिका मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन अंत में इसने उन्हें एक अभिनेता के रूप में और भी परिपक्व किया।

फिल्म की कहानी

डिस्पैच एक क्राइम एडिटर जॉय की कहानी है, जो एक बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करते हुए खुद को व्यक्तिगत और पेशेवर संकट में फंसा हुआ पाता है। वह अपने करियर और परिवार में उठे तूफान का सामना करता है, जिसके कारण उसकी शादी टूट जाती है। फिल्म महत्वाकांक्षा, लालच और व्यक्तिगत जीवन पर इसके असर को दर्शाती है। फिल्म 13 दिसंबर, 2024 को रिलीज होगी।

मनोज बाजपेयी की विशेष बातचीत

IFFI के दौरान, मनोज बाजपेयी ने एक और खास सत्र में भाग लिया, जिसमें उन्होंने अभिनय की कला और फिल्म इंडस्ट्री पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "अगर मैं अपनी कार की खिड़की काली रखूं, तो मैं लोगों को उनके दुख और खुशियों को कैसे देख पाऊंगा?" उन्होंने कहा कि एक अभिनेता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि वह असली जीवन को समझे और उसकी नकल करने की कोशिश करे।

बाजपेयी ने फिल्म और थिएटर के बीच के अंतर को भी समझाया और कहा कि सिनेमा एक सहयोगी प्रक्रिया है, जिसमें कई तत्व मिलकर अंतिम कहानी को आकार देते हैं। उन्होंने अपने सिनेमा के प्रति दृष्टिकोण पर बात करते हुए कहा कि वह खुद को किसी खास विधा या शैली में सीमित नहीं रखना चाहते।

स्वतंत्र सिनेमा पर विचार

बाजपेयी ने समाज और फिल्म इंडस्ट्री की वर्तमान स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस समय सिनेमा में बहुत सी अनिश्चितताएं हैं और स्वतंत्र सिनेमा ही वह तरीका है जो भारतीय सिनेमा को नया दिशा दे सकता है। उनकी बातें फिल्म इंडस्ट्री और अभिनय के प्रति उनके दृष्टिकोण को समझने का एक अनमोल मौका देती हैं।

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