Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 25 Apr, 2025 01:51 PM
जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम इलाके में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ देश को हिला दिया बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी नई चुनौती दे दी है। इस हमले में कुल 28 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम इलाके में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ देश को हिला दिया बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी नई चुनौती दे दी है। इस हमले में कुल 28 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। शुरुआती जांच में जो बातें सामने आई हैं वो हैरान करने वाली हैं। आतंकवादियों ने इस हमले के लिए केवल हथियार ही नहीं बल्कि मोबाइल ऐप जैसे आधुनिक तकनीकी साधनों का भी इस्तेमाल किया। सूत्रों के अनुसार आतंकियों ने इस बार जिस मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया उसका नाम है – Alpine Quest। यह एक ट्रैकिंग और नेविगेशन ऐप है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर ट्रैकिंग और जंगलों में दिशा खोजने के लिए होता है। लेकिन आतंकियों ने इस ऐप को टेरर गाइड की तरह इस्तेमाल किया और पहलगाम के घने और जटिल जंगलों में रास्ता खोजते हुए बैसरन इलाके तक पहुंचे। यही वह स्थान था जहां उन्होंने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर उन पर गोलीबारी की।
पेशेवर ट्रेनिंग के साथ मोबाइल ऐप की रणनीति
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों को इस ऐप के इस्तेमाल की पेशेवर ट्रेनिंग दी गई थी। यह ट्रेनिंग उन्हें बॉर्डर पार से उनके हैंडलर्स द्वारा ऑनलाइन दी गई। इतना ही नहीं, इस मोबाइल ऐप का सुरक्षित (encrypted) वर्जन भी तैयार किया गया था ताकि भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी ट्रैकिंग न कर सकें। भारतीय एजेंसियों का दावा है कि यह सब कुछ पाकिस्तानी सेना और ISI की मदद से किया गया।
पहलगाम में पहले भी हुआ है ऐसे ऐप का इस्तेमाल
पहलगाम में हुए इस हमले से पहले भी आतंकी जम्मू के जंगलों में इसी ऐप की मदद से हमले कर चुके हैं। यह ऐप उन्हें बिना पगडंडी वाले इलाकों में भी सटीक लोकेशन तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। यही कारण है कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों की नजरों से बचते हुए टूरिस्ट स्पॉट तक का सफर तय कर लिया।
द रेजिस्टेंस फ्रंट और उसका नया 'हिट स्क्वॉड' मॉड्यूल
इस हमले के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया जा रहा है। लेकिन ये हमला सीधे तौर पर उनके मुखौटा संगठन 'The Resistance Front' द्वारा अंजाम दिया गया। TRF ने इस बार ‘फाल्कन स्क्वॉड’ और ‘हिट स्क्वॉड’ जैसे प्रशिक्षित मॉड्यूल का इस्तेमाल किया। ये मॉड्यूल विशेष रूप से जंगलों में छिपकर ऑपरेशन चलाने और टारगेट किलिंग के लिए बनाए गए हैं। ‘फाल्कन स्क्वॉड’ को हिट एंड रन ऑपरेशन, घने जंगलों में छिपने, और लोकल ओवरग्राउंड वर्कर्स से सपोर्ट लेने में माहिर माना जाता है।
ISI और पाकिस्तानी सेना की साजिश
हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। खुफिया इनपुट के अनुसार ISI और पाकिस्तानी सेना ने न सिर्फ आतंकियों को ट्रेनिंग दी, बल्कि टेक्नोलॉजी सपोर्ट भी प्रदान किया। भारतीय एजेंसियों का मानना है कि Alpine Quest ऐप का खास वर्जन भी इन्हीं की मदद से तैयार किया गया ताकि सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी को चकमा दिया जा सके।
हमले का असली मकसद – अमरनाथ यात्रा से पहले दहशत फैलाना
हमले का समय और जगह यह संकेत देती है कि इसका मुख्य उद्देश्य अमरनाथ यात्रा से पहले घाटी में भय का माहौल बनाना था। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा पर आते हैं और पहलगाम इस यात्रा का एक अहम हिस्सा है। हमले से सिर्फ निर्दोष लोगों की जान ही नहीं गई, बल्कि आतंकियों का मकसद था कि लोगों में डर फैलाकर पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित किया जाए।
जांच एजेंसियां अलर्ट पर, डिजिटल ट्रैकिंग तेज
हमले के बाद एनआईए और राज्य पुलिस की टीमें अलर्ट पर हैं। ऐप की डिजिटल जांच, नेटवर्क की ट्रैकिंग, और संदिग्ध स्थानीय सपोर्ट सिस्टम की पहचान की जा रही है। साथ ही सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या किसी लोकल ओवरग्राउंड वर्कर ने आतंकियों की मदद की थी।