Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Nov, 2024 08:06 AM
सनातन धर्म में दिवाली का पांच दिवसीय उत्सव विशेष महत्व रखता है। यह उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। चौथे दिन, दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण, गऊ माता और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। इस...
नेशनल डेस्क: सनातन धर्म में दिवाली का पांच दिवसीय उत्सव विशेष महत्व रखता है। यह उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। चौथे दिन, दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण, गऊ माता और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। इस वर्ष गोवर्धन पूजा शनिवार, 2 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर को रात 8:21 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, गोवर्धन पूजा आज, 2 नवंबर को मनाई जा रही है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से 8 बजे तक और दोपहर में 3:23 बजे से 5:35 बजे तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को भारी बारिश से बचाया था। इसके बाद से हर वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण का आभार व्यक्त करने और प्रकृति की सेवा के प्रति प्रेरणा देता है।
गोवर्धन पूजा की विधि
सुबह गऊ माता के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाएं।
मूर्ति को फूलों और रंगों से सजाएं।
भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें और उन्हें फल, जल, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
भगवान को कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं।
गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा करें और मंत्रों का उच्चारण करें।
अंत में आरती करके पूजा समाप्त करें।