दिल्ली में पुजारियों-ग्रंथियों को सम्मान राशि का ऐलान, बैकफुट पर BJP

Edited By Rahul Rana,Updated: 31 Dec, 2024 03:42 PM

announcement of honorarium to priests and monks in delhi bjp on backfoot

बीजेपी ने 14 अप्रैल 2023 को तालकटोरा स्टेडियम में तीन हफ्ते चले नववर्ष उत्सव का समापन करते हुए हिन्दू मंदिरों के पुजारियों के लिए सरकारी सैलरी की मांग की थी। आम आदमी पार्टी पर तुष्टिकरण का इल्जाम लगाते हुए कहा था कि केवल इमाम और मौलवियोंको सैलरी दी...

नेशनल डेस्क। बीजेपी ने 14 अप्रैल 2023 को तालकटोरा स्टेडियम में तीन हफ्ते चले नववर्ष उत्सव का समापन करते हुए हिन्दू मंदिरों के पुजारियों के लिए सरकारी सैलरी की मांग की थी। आम आदमी पार्टी पर तुष्टिकरण का इल्जाम लगाते हुए कहा था कि केवल इमाम और मौलवियोंको सैलरी दी जा रही है। करीब डेढ़ साल बाद अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी की मांग पूरी कर दी है। ‘पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना’ लेकर सामने आए हैं केजरीवाल। हालांकि अभी वे सीएम नहीं हैं और न ही आतिशी सरकार इस पर तुरंत अमल करने जा रही है लेकिन चुनाव के बाद इस पर अमल करने का एलान हो गया है। अब अरविंद केजरीवाल बीजेपी को ओपन चैलेंज दे रहे हैं कि वो अपने 20 राज्यों में पुजारियों-ग्रंथियों को 18,000 रुपए सम्मान राशि दें।

केजरीवाल का ‘रिवर्स स्विंग’

अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी की शैली में बीजेपी को चित कर देने वाली सियासत कर डाली है। क्रिकेट की भाषा में कहें तो ‘रिवर्स स्विंग’। एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान राशि देने का विरोध करती हुई बीजेपी दिख रही है। कभी मांग कभी विरोध से बीजेपी को एक्सपोज करने में सफल होते दिख रहे हैं अरविन्द केजरीवाल।

बीजेपी ने पोस्टर जारी करते हुए अरविन्द केजरीवाल को ‘चुनावी हिन्दू’ करार दिया है। सच पूछें तो अरविन्द केजरीवाल को इस तमगे से लाभ ही मिलेगा। अरविन्द केजरीवाल को ‘चुनावी हिन्दू’ कहकर मानो अरविन्द केजरीवाल की मुराद पूरी कर दी है। खुद को हिन्दू तो बताते ही रहे हैं अरविन्द केजरीवाल लेकिन अब वह बीजेपी अरविन्द केजरीवाल को ‘हिन्दू’ बता रही है जो उन्हें मुस्लिम परस्त बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी। भले ही ‘हिन्दू’ से पहले ‘चुनावी’ लगाया हो- लेकिन अरविन्द केजरीवाल को कथित हिन्दूवादी पार्टी ‘हिन्दू’ कहने को विवश हुई है तो यह केजरीवाल की सियासत की जीत है।
बीजेपी नेता विजेन्द्र गुप्ता के ट्वीट देखें जिस तर्ज पर बीजेपी के तमाम नेता ट्वीट कर रहे हैं "पिछले 10 वर्षों से इमामों को खुश करने के लिए हर महीने ₹18,000 वेतन देने वाली AAP सरकार को चुनावी मौसम में अब पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों की याद आई है। 10 साल तक मौलवियों को वेतन देने की बात कही तब पुजारी और ग्रंथियों की याद नहीं आई।"

तुष्टिकरण के आरोपों की भी निकली हवा

दिल्ली में इमाम और मुअज्जिमों को बीते डेढ़ साल से सैलरी नहीं मिली है। वे भी प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि उन्हें वक्फ बोर्ड से सैलरी मिलती है दिल्ली सरकार से नहीं। ये उदाहरण कहीं से भी तुष्टिकरण का नहीं लगता जो आरोप बीजेपी लगा रही है। मतलब बीजेपी का यह दांव भी सटीक नहीं लग रहा है। ‘रेवड़ी मैन’ हो या फिर ‘चुनावी हिन्दू’ दोनों अरविन्द केजरीवाल पर चस्पां तो हो रहे हैं लेकिन इससे केजरीवाल या आम आदमी पार्टी का सियासी नुकसान नहीं हो रहा है उल्टा फायदा हो रहा है।

पुजारियों-ग्रंथियों को 2.16 लाख सालाना मिलेगा

हर परिवार को दिल्ली सरकार की ओर से बीते दस साल में 30 लाख से ज्यादा का फायदा करा चुकने और कराते रहने के दावे के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है आम आदमी पार्टी। इस लिहाज से 18 हजार रुपये पुजारियों और ग्रंथियों को देने का मतलब है कि साल में 2,16,000 रुपये सालाना की गारंटी। इसका यह भी मतलब हुआ कि अगले दस साल में 21 लाख 16 हजार रुपये मिलने की गारंटी। 
‘जनता का पैसा जनता को’ देने के सिद्धांत के साथ अरविन्द केजरीवाल अपनी सियासत खड़ी कर रहे हैं वहीं ‘रेवड़ी’ या ‘फ्रीबीज’ बताकर विरोधी वास्तव में केजरीवाल की सियासत चमका रहे हैं। केजरीवाल को ऐसे आरोप स्वीकार्य हैं और वे चाहते हैं कि लोग उन्हें ‘रेवड़ी मैन’ कहें क्योंकि कहीं न कहीं इससे उनकी ही राजनीतिक चाहत और जरूरत पूरी होती है। 

सिखों को साधने की सियासत, बीजेपी बेचैन

गुरद्वारे के ग्रंथियों को भी गुरद्वारा से मानदेय मिलता रहा है। फिर भी दिल्ली सरकार की ओर से दी जाने वाली घोषणा का फायदा वे नहीं लेंगे ऐसा नहीं है। कोई विरोध कर रहा हो ऐसा भी नहीं है। आम तौर पर बीजेपी 1984 के सिख दंगे का मुद्दा उठाकर कांग्रेस के खिलाफ सिखों को लामबंद करती रही है लेकिन आम आदमी पार्टी के खिलाफ वो ऐसा नहीं कर पाती। उल्टे आम आदमी पार्टी ने ग्रंथियों के लिए भी मानदेय की घोषणा कर बीजेपी से सिख वोटरों को दूर करने की कोशिश की है। वैसे भी बीजेपी की हालिया राजनीति से सिख बहुत दुखी रहे हैं। डॉ मनमोहन सिंह के नाम पर कांग्रेस के साथ जुड़े सिखों को भी साधने की कोशिश करती भी आम आदमी पार्टी दिखती है।

पुजारी-ग्रंथी के बहाने हिन्दू-सिख वोटरों पर नज़र

गुरद्वारे में आतिशी और मंदिर में केजरीवाल ने पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का रजिस्ट्रेशन शुरू करा कर बड़ा चुनावी दांव चला है। ग्रंथी और पुजारी संख्या में इतने नहीं हैं कि उनसे वोट के रूप में आम आदमी पार्टी को बड़ा फायदा हो जाए। दरअसल ग्रंथी और पुजारी से जुड़े वोटरों की संख्या पर पार्टी की नजर है उन्हें ही साधने का प्रयास किया जा रहा है। बीजेपी परेशान भी इसीलिए है कि अगर ये वोटर प्रभावित हो गये तो उनकी सारी कोशिशों पर पानी फिर जाएगा। 

दिल्ली में 185 रजिस्टर्ड मस्जिदों में 225 इमाम और मुअज्जिम हैं जिन्हें 18 और 14 हजार रुपये सैलरी दी जाती है। इसके अलावा गैर पंजीकृत मस्जिद भी हैं जहां इमामों और मुअज्जिनों को 16 और 12 हजार रुपये सैलरी दी जाती है। जाहिर है कि सैलरी पाने वाले और बकाया सैलरी की मांग करने वालों की संख्या कम है लेकिन उनका प्रभाव व्यापक है। दिल्ली सरकार पर सीधे बकाया सैलरी नहीं देने का आरोप लगाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि वक्फ बोर्ड से सैलरी दी जाती है। अरविन्द केजरीवाल ने आंदोलनकारी मौलवियों से मुलाकात कर मुस्लिम समुदाय को भी संदेश दिया है कि वे उन्हें दरकिनार कतई नहीं कर रहे हैं।

मुस्लिम, सिख और हिन्दू वोटर दिल्ली चुनाव में प्रभाव रखते हैं इसलिए उनकी चर्चा तो प्रकारांतर से हो रही है और उनके माध्यम से चुनावी लाभ लेने की कोशिश भी दिख रही है लेकिन नजरअंदाज किए जा रहे हैं बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी जिनकी आबादी कम है और वे वोट बैंक नहीं बन पाए हैं। शायद ही किसी राजनीतिक दल को इसकी फिक्र हो। 

हरिशंकर जोशी, वरिष्ठ पत्रकार

Disclaimer : यह लेखक के अपने निजी विचार हैं। 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!