Edited By Anil dev,Updated: 19 Nov, 2018 05:02 PM
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने का बहुत पछतावा था, लेकिन आज की स्थिति तो 1975-77 के हालात से भी ज्यादा गंभीर है। उन्होंने रविवार को कहा कि अगर विपक्ष एकजुट हो जाए और हर सीट पर भाजपा...
मुंबई: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने का बहुत पछतावा था, लेकिन आज की स्थिति तो 1975-77 के हालात से भी ज्यादा गंभीर है। उन्होंने रविवार को कहा कि अगर विपक्ष एकजुट हो जाए और हर सीट पर भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले अपना एक उम्मीदवार उतारने के सिद्धांत का पालन करे तो 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोका जा सकता है।
शौरी यहां टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में 'न्यायिक प्रणाली के भीतर खतरा' विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, "1975 में बेहतर और निश्चित विपक्ष था। लेकिन आज विपक्ष बिखरा हुआ है। मैं कह सकता हूं कि इंदिरा और नरेंद्र मोदी के बीच अंतर यह है कि इंदिरा को अपने किए का पछतावा था।" शौरी ने कहा "आज कोई पश्चाताप नहीं है। इंदिरा के मामले में मुझे लगता है कि हालांकि उन्होंने करीब 1,75,000 लोगों को जेल में डाला था, लेकिन इस तथ्य के बावजूद उन्हें एक सीमा का भान था कि इससे आगे नहीं जाना है। आज सीमा को लेकर कोई सोच या समझ नहीं है।" उन्होंने कहा कि आपातकाल 19 माह में खत्म हो गया था, लेकिन आज तो आज संस्थानों को कमजोर करने की कोशिश लगातार जारी है। इसलिए मुझे लगता है कि आज की स्थिति 1975-77 के हालात से भी ज्यादा गंभीर है।"
शौरी ने कहा कि मोदी जब लोकप्रियता के शीर्ष पर थे (2014 में), तब उन्हें कितने वोट मिले थे? केवल 31 फीसदी। इसलिए अगर विपक्ष एकजुट होता है तो इसकी शुरुआत 69 फीसदी मतों के साथ होगी। उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य में भाजपा की उपस्थिति नहीं है और वहां क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में हैं, वहां हमें कांग्रेस के बारे में सोचना चाहिए और कांग्रेस के प्रत्याशी का समर्थन करना चाहिए। शौरी ने कहा कि अगर अन्य दलों के नेता भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ एक उम्मीदवार के सिद्धांत पर सहमत नहीं होते तो लोगों से विपक्षी मतों के बिखराव के लिए उन्हें सबक सिखाने को कहना चाहिए।