Edited By Rahul Rana,Updated: 13 Dec, 2024 08:46 AM
दिल्ली में सर्दी का असर बढ़ने के साथ ही मंदिरों में भगवान की विशेष देखभाल की जा रही है। अब भगवान को भी ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं। कुछ मंदिरों में भगवान को ऊनी पोशाकों और शॉल से ढककर रखा जा रहा है जबकि कुछ मंदिरों में भगवान को...
नॅशनल डेस्क। दिल्ली में सर्दी का असर बढ़ने के साथ ही मंदिरों में भगवान की विशेष देखभाल की जा रही है। अब भगवान को भी ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं। कुछ मंदिरों में भगवान को ऊनी पोशाकों और शॉल से ढककर रखा जा रहा है जबकि कुछ मंदिरों में भगवान को गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं।
प्रीत विहार के शिव मंदिर में भगवान को गर्म कपड़े
प्रीत विहार स्थित गुफा वाले शिव मंदिर के प्रधान सुरेंद्र दीवान ने बताया कि मंदिर में भगवान जी का विशेष ख्याल रखा जाता है। बीते हफ्ते से भगवान जी को शॉल, टोपी और दुशाला पहनाए जा रहे हैं। उनके अनुसार शाम की आरती के बाद भगवान जी को रात में सोने के लिए भी गर्म कपड़े पहनाए जाते हैं।
यमुना विहार और अन्य मंदिरों में भी गर्म कपड़ों की व्यवस्था
यमुना विहार स्थित बी ब्लॉक के श्री सनातन धर्म मंदिर और धर्मशाला में भी भगवान जी को गर्म कपड़े पहनाए गए हैं। यहां सभी देवी-देवताओं के लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था की गई है। मंदिरों में भगवान की देखभाल और सजावट सर्दी के मौसम के अनुसार की जा रही है ताकि ठंड में भगवान की भी रक्षा हो सके।
सत्संग में शांति और प्रेम का संदेश
दिल्ली के विभिन्न मंदिरों में आयोजित सत्संगों में संतों ने शांति, प्रेम और एकता का संदेश दिया। कालकाजी के सिद्धपीठ कालिका मंदिर में महंत सुरेद्रनाथ ने कहा कि सच्चा और स्थायी आनंद उन्हीं को मिलता है जो अंदर और बाहर से एक होते हैं।
नेहरू पार्क के बटुक भैरव शक्तिपीठ मंदिर में सत्संग
चाणक्यपुरी स्थित नेहरू पार्क के बटुक भैरव शक्तिपीठ मंदिर में पंडित राजेंद्र कुमार शर्मा ने सत्संग के दौरान कहा कि शांति, एकता और प्रेम को अपनाकर हम अपनी धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।
बालाजी धाम मंदिर में निर्मलता की बात
त्रिनगर स्थित सिद्ध शक्तिपीठ बालाजी धाम मंदिर में महंत प्रमोद महाराज ने सत्संग में कहा कि मन की निर्मलता के लिए प्रभु से नाता जोड़ना अनिवार्य है।
ध्यान-साधना के दौरान बहन पुष्पा का संदेश
लक्ष्मीनगर में ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र में ध्यान-साधना के दौरान राजयोगिनी बहन पुष्पा ने कहा कि आत्म-चिंतन उन्नति की सीढ़ी है जबकि पर-चिंतन पतन की जड़ है। इन सभी घटनाओं से साफ है कि सर्दी के मौसम में मंदिरों में भगवान की देखभाल के साथ-साथ भक्तों को भी शांति, प्रेम और एकता का संदेश दिया जा रहा है।