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Asaduddin Owaisi की कड़ी चेतावनी: 'हम एक इंच वक्फ संपत्ति नहीं छोड़ेंगे', VIDEO वायरल

Edited By Mahima,Updated: 05 Feb, 2025 09:46 AM

asaduddin owaisi s warning  we will not leave even an inch of waqf property

असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ विधेयक का लोकसभा में कड़ा विरोध किया, और चेतावनी दी कि यदि यह विधेयक कानून बना, तो देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने इस विधेयक को खारिज कर दिया है क्योंकि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25,...

नेशनल डेस्क: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 4 फरवरी को लोकसभा में वक्फ विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह विधेयक वर्तमान रूप में कानून बनता है तो यह देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा करेगा। ओवैसी ने यह भी स्पष्ट किया कि मुस्लिम समुदाय ने इस विधेयक को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, क्योंकि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 14 का उल्लंघन करता है। ये अनुच्छेद धार्मिक समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों की गारंटी देते हैं। ओवैसी ने लोकसभा में अपने संबोधन में कहा, "मैं इस सरकार को चेतावनी दे रहा हूं कि अगर आप इस विधेयक को संसद में लाते हैं और इसे कानून बनाते हैं, तो इससे देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी।

मुस्लिम समुदाय ने इसे खारिज कर दिया है, क्योंकि यह हमारे संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करेगा।" उन्होंने आगे कहा, "हम कोई वक्फ संपत्ति नहीं छोड़ेंगे, कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा।" उनका कहना था कि वक्फ विधेयक के मौजूदा ड्राफ्ट के पारित होने से देश की प्रगति में रुकावट आएगी। ओवैसी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा, "आप एक विकसित भारत चाहते हैं, हम भी चाहते हैं, लेकिन आप इस देश को 80 और 90 के दशक में वापस ले जाना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी आपकी होगी।" ओवैसी ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्ति, जैसे मस्जिदों और दरगाहों को छोड़ने का सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं अपनी मस्जिद का एक इंच भी नहीं खोऊंगा, और न ही अपनी दरगाह का। यह हमारी संपत्ति है, किसी ने हमें दी नहीं है, और हम इसे किसी को नहीं सौंप सकते।"

16 सदस्यों ने इन संशोधनों का किया समर्थन 
इससे पहले, संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने वक्फ संशोधन विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी थी और इसमें भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को भी शामिल किया गया था। जेपीसी के अध्यक्ष, जगदंबिका पाल ने बताया कि विधेयक में इन 14 संशोधनों को बहुमत से स्वीकृति मिली। उन्होंने कहा कि 16 सदस्यों ने इन संशोधनों का समर्थन किया, जबकि 10 ने इसका विरोध किया। इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा और मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा। ओवैसी समेत कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके जैसे विपक्षी दलों ने इन संशोधनों का विरोध किया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण की कोशिश कर रही है और यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से मुस्लिम संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। 

मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन की संभावना 
विपक्षी नेताओं में कांग्रेस पार्टी के गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन, मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, नदीमुल हक, डीएमके के ए. राजा और एमएम अब्दुल्ला ने वक्फ विधेयक पर असहमति दर्ज की है। इन नेताओं ने इस विधेयक के जरिए मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन की संभावना जताई है। वहीं, जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि विधेयक में किए गए संशोधन सरकार की मंशा के अनुरूप थे और इसे संसद में बहुमत से मंजूरी मिली।  

मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को नकारने की कोशिश
विपक्षी दलों का मानना है कि इस विधेयक में किए गए संशोधन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक संस्थाओं और वक्फ संपत्तियों के अधिकारों को कमजोर करने के लिए हैं। विपक्ष ने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 14 के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को पारित कर सरकार संविधान के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को नकारने की कोशिश कर रही है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि वक्फ संपत्तियों का नियंत्रण मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है और यह उनके विश्वासों के खिलाफ है। इस विधेयक पर 30 जनवरी को जेपीसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंप दी थी। अब यह विधेयक संसद में आगे चर्चा और मतदान के लिए रखा जाएगा। इस विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस जारी है, और इसके लागू होने से पहले इसे लेकर कई और सवाल खड़े हो सकते हैं। 
 

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