Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Jan, 2025 02:01 PM
स्वयंभू बाबा आसाराम को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2013 के बलात्कार मामले में अंतरिम जमानत दी है, जो कि मेडिकल आधार पर है। अब वे 31 मार्च तक जमानत पर बाहर रहेंगे।
नई दिल्ली: स्वयंभू बाबा आसाराम को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2013 के बलात्कार मामले में अंतरिम जमानत दी है, जो कि मेडिकल आधार पर है। अब वे 31 मार्च तक जमानत पर बाहर रहेंगे। यह जमानत खासतौर पर आसाराम की खराब स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी गई है, ताकि वे दिल के इलाज के लिए अस्पताल जा सकें।
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को उनके दिल के इलाज के लिए शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी है। आसाराम को अपनी ही गुरुकुल की एक छात्रा से यौन शोषण के मामले में दोषी पाया गया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी। हालांकि, अब उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत मिली है। आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल से भगत की कोठी स्थित आरोग्य चिकित्सा केंद्र में भर्ती किया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। उनके वकील का कहना है कि आसाराम दिल के मरीज हैं और उन्हें पहले भी हार्ट अटैक आ चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत के दौरान यह भी आदेश दिया है कि पुलिसवाले आसाराम की निगरानी करेंगे और वह किसी भी तरह से सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। इसके साथ ही, उन्हें अपने अनुयायियों से भी मिलने की अनुमति नहीं होगी।
आसाराम की सजा को निलंबित करने की कोशिश
इससे पहले, आसाराम ने अपनी सजा को निलंबित करने की भी कोशिश की थी। उन्होंने 2013 के बलात्कार मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
आजीवन कारावास की सजा
जनवरी 2023 में सत्र न्यायालय ने आसाराम को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह मामला गांधीनगर के पास आसाराम के आश्रम में रहने वाली एक महिला द्वारा दायर किया गया था। हालांकि, आसाराम ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि उन पर लगाए गए बलात्कार के आरोप झूठे थे और उन्हें एक साजिश के तहत फंसाया गया था। उनका कहना था कि पीड़िता द्वारा शिकायत दर्ज करने में 12 साल की देरी के कारण मामला कमजोर हो जाता है, और इस पर ट्रायल कोर्ट ने सही तरीके से विचार नहीं किया। आसाराम की अपील यह भी थी कि उसके खिलाफ दायर किए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं, और उसने इन आरोपों को चुनौती देने के लिए याचिका दाखिल की थी।
31 मार्च तक मिली जमानत
आसाराम को मिली अंतरिम जमानत उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए दी गई है, लेकिन यह जमानत केवल 31 मार्च तक है। यदि उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है या कोई अन्य मामला सामने आता है, तो उनकी जमानत को आगे बढ़ाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश यह भी स्पष्ट करता है कि आसाराम को जमानत मिलने के बाद किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की कोशिश नहीं करनी चाहिए और उन्हें अपनी गतिविधियों पर पूरी तरह से नियंत्रण रखना होगा।