Edited By Pardeep,Updated: 07 Jul, 2021 09:24 PM
पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव का नरेंद्र मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल होना बहुत सारे लोगों को चौंका गया, हालांकि उन्होंने दो साल पहले भी ओडिशा से भाजपा के टिकट पर रा
भुवनेश्वरः पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव का नरेंद्र मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल होना बहुत सारे लोगों को चौंका गया, हालांकि उन्होंने दो साल पहले भी ओडिशा से भाजपा के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव जीत कर सबको सकते में डाल दिया था क्योंकि पार्टी के पास विधायकों की संख्या इतनी नहीं थी कि वह चुनाव जीत सकें।
राजस्थान के जोधपुर में पैदा हुए 51 वर्षीय वैष्णव 1994 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी रहे हैं। भाजपा में होने के बावजूद उन्होंने राज्यसभा चुनाव में ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक का समर्थन हासिल कर लिया। बीजद के भीतर कई नेताओं ने इसकी आलोचना की थी। आरोप लगाए गए कि पटनायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दबाव में झुक गए और वैष्णव का समर्थन कर दिया।
वैष्णव 28 जून, 2019 को हुए इस राज्यसभा चुनाव से सिर्फ छह दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए उन्होंने बालेश्वर और कटक जिलों के कलेक्टर की जिम्मेदारी निभाई। साल 1999 में आए भीषण चक्रवात के समय उन्होंने बतौर नौकरशाह अपने कौशल का परिचय दिया और उनकी सूचना के आधार पर सरकार त्वरित कदम उठा सकी जिससे बहुत सारे लोगों की जान बची।
वैष्णव ने 2003 तक ओडिशा में काम किया और फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव नियुक्त हो गए। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री पद से हटे तो वैष्णव को उनका सचिव बनाया गया। आईआईटी से पढ़ाई कर चुके वैष्णव ने 2008 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और अमेरिका के व्हार्टन विश्वविद्यालय से एमबीए किया। वापस लौटने के बाद उन्होंने कुछ बड़ी कंपनियों में नौकरी की और फिर गुजरात में ऑटो उपकरण की विनिर्माण इकाइयां स्थापित कीं। इसी साल अप्रैल में उन्हें भारतीय प्रेस परिषद का सदस्य नामित किया गया था।