Bank Alert: एशिया के सबसे अमीर बैंकर ने दी चेतावनी, बैंकिग इंडस्ट्री के सामने आ रही ये बड़ी मुसीबत

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Mar, 2025 12:25 PM

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बैंकिंग इंडस्ट्री इस समय एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते डिपॉजिट संकट और घटते मार्जिन की वजह से बैंकों की स्थिति कमजोर होती जा रही है। एशिया के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक ने इस समस्या पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर यह समस्या...

नेशनल डेस्क: बैंकिंग इंडस्ट्री इस समय एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते डिपॉजिट संकट और घटते मार्जिन की वजह से बैंकों की स्थिति कमजोर होती जा रही है। एशिया के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक ने इस समस्या पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर यह समस्या बनी रहती है, तो बैंकिंग बिजनेस मॉडल को खतरा हो सकता है।

बचत की आदत हो रही कमजोर

बैंकों में रिटेल डिपॉजिट की ग्रोथ धीमी होती जा रही है, जिससे उनकी फंडिंग लागत बढ़ रही है। लोगों की बचत करने की आदतें पहले की तुलना में कमजोर हो रही हैं। खासकर युवा वर्ग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च कर रहा है, जिससे बैंकों में जमा राशि घट रही है। पहले जहां लोग अपनी बचत को सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट में रखना पसंद करते थे, वहीं अब अन्य निवेश विकल्पों के आने से इस प्रवृत्ति में कमी आई है।

महंगे होलसेल डिपॉजिट का सहारा

रिटेल डिपॉजिट में कमी आने की वजह से बैंक महंगे होलसेल डिपॉजिट पर निर्भर हो रहे हैं। इससे बैंकों को ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है और उनका मुनाफा प्रभावित हो रहा है।

बैंकों की बढ़ती लागत और घटता मुनाफा

बैंकों के लिए कर्ज देना भी अब महंगा होता जा रहा है। मौजूदा समय में बैंक 9% पर उधार लेकर 8.5% की फ्लोटिंग दर पर होम लोन दे रहे हैं, जिससे 0.5% का निगेटिव मार्जिन बन रहा है। इसके अलावा, बैंकों को होलसेल डिपॉजिट पर 8% से अधिक की लागत चुकानी पड़ती है।

बैंकों के लिए अतिरिक्त वित्तीय दबाव

  • कैश रिजर्व रेश्यो (CRR): बैंकों को अपनी जमा राशि का एक हिस्सा आरबीआई के पास रखना होता है, जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता।

  • स्टैचुटरी लिक्विडिटी रेश्यो (SLR): बैंक को अपनी कुछ जमा राशि सरकारी बॉन्ड में निवेश करनी पड़ती है।

  • डिपॉजिट इंश्योरेंस: यदि बैंक दिवालिया होता है, तो ग्राहकों की जमा राशि की सुरक्षा के लिए बैंकों को इंश्योरेंस देना पड़ता है।

  • प्रायोरिटी सेक्टर लोन: सरकार द्वारा निर्धारित कुछ खास सेक्टर्स को लोन देने की बाध्यता होती है।

रेपो रेट में गिरावट की उम्मीद

बैंकिंग सेक्टर में रिटेल डिपॉजिट की ग्रोथ धीमी बनी हुई है और इसी बीच रेपो रेट में गिरावट की भी उम्मीद जताई जा रही है। अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई अप्रैल में रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर सकता है। इससे पहले फरवरी में इसे 6.25% किया गया था।

बैंकिंग सेक्टर को क्या करना होगा?

  1. डिजिटल बैंकिंग का विस्तार: बैंकों को डिजिटल सेवाओं पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि अधिक ग्राहक बैंकिंग सिस्टम से जुड़ें।

  2. नए डिपॉजिट स्कीम्स: बैंकों को ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर ब्याज दरों और नई डिपॉजिट स्कीम्स लानी होंगी।

  3. लोन की दरों में सुधार: बैंकिंग सेक्टर को अपने लोन मॉडल को पुनः रणनीतिक रूप से तय करना होगा ताकि मार्जिन को संतुलित किया जा सके।

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