Edited By Mahima,Updated: 12 Dec, 2024 09:03 AM
असम सरकार ने ऐलान किया है कि जो लोग NRC के लिए आवेदन नहीं करेंगे, उन्हें आधार कार्ड नहीं मिलेगा। यह कदम असम में बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने और नागरिकता की प्रक्रिया को और सख्त करने के लिए उठाया गया है। सरकार का उद्देश्य असम में अवैध नागरिकों की...
नेशनल डेस्क: असम सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और आधार कार्ड को जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसला लिया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो लोग NRC के लिए आवेदन नहीं करेंगे, उन्हें आधार कार्ड के लिए आवेदन करने का अधिकार नहीं होगा। यह कदम बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के अनुसार, इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य असम में बढ़ती अवैध घुसपैठ और नागरिकता के मुद्दों पर नियंत्रण पाना है।
असम सरकार का निर्णय और इसकी पृष्ठभूमि
असम सरकार ने 5 दिसंबर 2024 को इस फैसले का ऐलान किया, जिसके तहत असम में आधार कार्ड के लिए आवेदन करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आवेदक ने NRC में आवेदन किया है या नहीं। अगर किसी व्यक्ति ने NRC के लिए आवेदन नहीं किया है, तो उसका आधार आवेदन खारिज कर दिया जाएगा। इस निर्णय के पीछे असम सरकार की चिंता यह है कि राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ़ रही है, और इन घुसपैठियों को पहचानने के लिए NRC को और सख्त किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "हमारे लिए बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ एक गंभीर समस्या है। असम पुलिस, त्रिपुरा पुलिस और बीएसएफ ने पिछले कुछ महीनों में कई घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया है। हम अपने सिस्टम को और मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।" इस संदर्भ में, उन्होंने कहा कि यह कदम असम के नागरिकों की सुरक्षा और राज्य की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
NRC और आधार के बीच संबंध
NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) असम में उन नागरिकों की सूची है जिनकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि हो चुकी है। असम में NRC की प्रक्रिया 2015 में शुरू हुई थी, और 31 अगस्त 2019 को इसका अंतिम संस्करण जारी किया गया था। इस सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे, जबकि करीब 19 लाख लोगों के नाम बाहर हो गए थे। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह स्पष्ट किया कि अब तक जितने भी लोग NRC के लिए आवेदन नहीं करेंगे, उन्हें आधार कार्ड नहीं दिया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि असम में केवल वे लोग नागरिकता का दावा कर सकें, जिनके पास वैध दस्तावेज हैं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई अवैध घुसपैठिया राज्य में नागरिकता के लाभ न उठा सके।
आधार कार्ड के लिए आवेदन की प्रक्रिया
असम सरकार की योजना के अनुसार, NRC आवेदन के साथ आधार कार्ड के लिए आवेदन को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटिटी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया) के तहत आवेदकों को पहले NRC के लिए आवेदन करना होगा, और उसके बाद ही आधार के लिए आवेदन किया जा सकेगा। इस प्रक्रिया के तहत, हर जिले में एक अतिरिक्त जिला अधिकारी (ADC) नियुक्त किया जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि आवेदक ने NRC में आवेदन किया है या नहीं। मुख्यमंत्री ने बताया कि आधार आवेदन के बाद, यूआईडीएआई राज्य सरकार को वेरिफिकेशन के लिए भेजेगा। इसके बाद एक सर्कल ऑफिसर यह पुष्टि करेगा कि आवेदक ने NRC के लिए आवेदन किया है या नहीं। अगर कोई व्यक्ति NRC में शामिल नहीं है, तो उसका आधार आवेदन खारिज कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि नागरिकता के मामलों में कोई धोखाधड़ी न हो और असम में अवैध नागरिकों की पहचान की जा सके।
असम में बढ़ता आधार आवेदन
असम में आधार कार्ड के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के दौरान कई जिलों में आवेदकों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी गई है, जो सरकार के लिए चिंता का कारण बन गया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस संबंध में जानकारी दी कि असम के चार जिलों में आधार आवेदकों की संख्या वहां की जनसंख्या से भी ज्यादा हो गई है। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, बारपेटा में 103.74%, ढुबरी में 103%, मोरिगांव में 101% और नगांव में 101% आधार आवेदक सामने आए हैं। इस आंकड़े ने सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या इनमें कोई फर्जीवाड़ा हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी कारण से आधार आवेदन के साथ NRC आवेदन के रिसिप्ट नंबर की जांच भी की जाएगी।
असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ्तारी
असम सरकार ने यह भी बताया कि राज्य पुलिस ने हाल ही में बांग्लादेश से घुसपैठ करने की कोशिश करने वाले दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। अगस्त 2024 में बदरपुर रेलवे स्टेशन से असम पुलिस ने इन दो घुसपैठियों को पकड़ा था। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान बांग्लादेश के मॉडलगंज थाना क्षेत्र के मासूम खान और ढाका की सोनिया अख्तर के रूप में हुई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस गिरफ्तारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह घटना असम में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ के खतरे को और अधिक स्पष्ट करती है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार ने अपनी नीति को और कड़ा किया है।
सरकार का उद्देश्य और भविष्य की योजनाएं
असम सरकार का यह निर्णय यह दर्शाता है कि राज्य में अवैध घुसपैठ की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा बेहद गंभीर हैं। उनका कहना है कि एनआरसी और आधार की प्रक्रिया को जोड़ने से असम में अवैध नागरिकों की पहचान और घुसपैठ की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा। इससे असम के वास्तविक नागरिकों की पहचान सुनिश्चित होगी और फर्जी नागरिकता के दावों को रोकने में मदद मिलेगी।