Edited By Parveen Kumar,Updated: 17 Oct, 2024 08:55 PM
आज सुबह करीब 6 बजे एक हवाई जहाज के आकार का एस्ट्रॉयड धरती के काफी करीब आया, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा की कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रपल्शन लैब (JPL) ने इसकी निगरानी की। एस्ट्रॉयड 2024 SD2 के धरती से टकराने का डर था,...
नेशनल डेस्क : आज सुबह करीब 6 बजे एक हवाई जहाज के आकार का एस्ट्रॉयड धरती के काफी करीब आया, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा की कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रपल्शन लैब (JPL) ने इसकी निगरानी की। एस्ट्रॉयड 2024 SD2 के धरती से टकराने का डर था, लेकिन यह सुरक्षित रूप से गुजरा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह एस्ट्रॉयड लगभग 82 फीट बड़ा था और धरती से 3,862,425 किलोमीटर की दूरी पर क्रॉस हुआ। इसकी रफ्तार 21,952 किलोमीटर प्रति घंटा थी। यह एस्ट्रॉयड सूर्य की परिक्रमा कर रहा था, लेकिन धरती की ग्रैविटी के कारण यह हमारे करीब आया। नासा ऐसे एस्ट्रॉयड को नियर अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) कहते हैं।
हालांकि, नासा का कहना है कि आमतौर पर इन एस्ट्रॉयड से धरती को कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन सौर तूफान की वजह से इनकी दिशा बदलने का खतरा रहता है। इसी वजह से नासा समय-समय पर अलर्ट जारी करती है।
NASA का प्लान
नासा ने धरती को एस्ट्रॉयड से बचाने के लिए एक योजना बनाई है। इसमें परमाणु विस्फोट से लेकर स्पेस क्राफ्ट का उपयोग करने का विचार है। 1998 में बनी फिल्म ‘आर्मगेडन’ की तरह, नासा ऐसे एस्ट्रॉयड को तोड़ने के लिए न्यूक्लियर डिवाइस का इस्तेमाल कर सकती है। नासा ने 2022 में एक सफल टेस्ट किया था, जिसमें एक स्पेस क्राफ्ट ने एस्ट्रॉयड से टकराकर उसके रास्ते को बदल दिया। इसके आधार पर, नासा अब नया एंटी एस्ट्रॉयड प्रोग्राम लॉन्च करने की तैयारी कर रही है।