Edited By Harman Kaur,Updated: 04 Oct, 2024 04:09 PM
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को सिर्फ उनके नौकरी दिलाने के रिकॉर्ड के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए बल्कि इन संस्थानों से उत्तीर्ण वाले स्नातकों ने कितनी नौकरियां सृजित की इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
नेशनल डेस्क: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को सिर्फ उनके नौकरी दिलाने के रिकॉर्ड के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए बल्कि इन संस्थानों से उत्तीर्ण वाले स्नातकों ने कितनी नौकरियां सृजित की इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
युवाओं के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है: आतिशी
आतिशी ने नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं में उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देने के महत्व को भी रेखांकित किया। आतिशी दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री का पदभार भी संभाल रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे युवाओं के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है। मुझे यह जानकर बेहद खुशी हो रही है कि एनएसयूटी के 81 फीसदी स्नातकों को नौकरी मिल गई। हालांकि मुझे लगता है कि विश्वविद्यालयों को सिर्फ उनके नौकरी दिलाने के रिकॉर्ड से ही नहीं आंका जाना चाहिए बल्कि इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि उनके स्नातकों ने कितनी नौकरियों का सृजन किया। यह वक्त की जरूरत है।”
'हमें दूसरों के लिए अच्छे अवसर भी बनाने चाहिए...'
उन्होंने कहा, “हमारा मकसद सिर्फ अच्छी नौकरियां प्राप्त करना ही नहीं होना चाहिए बल्कि हमें दूसरों के लिए अच्छे अवसर भी बनाने चाहिए।” आतिशी ने दिल्ली सरकार के ‘बिजनेस ब्लास्टर' कार्यक्रम की सफलता की कहानियां भी साझा कीं। इस कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों को ‘स्टार्टअप' शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना भी दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। सक्सेना विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। सक्सेना ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारत के युवा राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति हैं और उनका योगदान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।