Social Media rules: ऑस्ट्रेलिया के बाद अब भारत में भी बच्चों के इंटरनेट पर बैन! सरकार लेने जा रही बड़ा एक्शन

Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Nov, 2024 12:22 PM

australia now india too has banned internet for children

बच्चों को सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हानिकारक और आपत्तिजनक सामग्री से बचाने के लिए भारत सरकार सख्त कानून बनाने पर विचार कर रही है। सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताओं के बीच, जहां बच्चों की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा प्रमुख मुद्दे बन गए हैं,...

नेशनल डेस्क: बच्चों को सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हानिकारक और आपत्तिजनक सामग्री से बचाने के लिए भारत सरकार सख्त कानून बनाने पर विचार कर रही है। सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताओं के बीच, जहां बच्चों की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा प्रमुख मुद्दे बन गए हैं, सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है।

इस बीच, ऑस्ट्रेलिया में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। वहां की संसद ने एक विधेयक पारित किया है, जिसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से दूर रखने की जिम्मेदारी संबंधित कंपनियों पर डाली गई है। यदि कंपनियां इस कानून का पालन करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें 5 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 274 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।

ऑस्ट्रेलियाई संसद की प्रतिनिधि सभा ने इस विधेयक के पक्ष में 102 और विपक्ष में 13 वोट पड़े। अब यह विधेयक सीनेट में भी पास होने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश दलों ने इसका समर्थन किया है। सोशल मीडिया कंपनियों को यह कानून लागू करने के लिए एक साल का समय मिलेगा, और उसके बाद जुर्माना लगाया जाएगा।

भारत में भी सोशल मीडिया के अनियंत्रित प्रभाव को लेकर चिंता जताई जा रही है, खासकर बच्चों की सुरक्षा के लिए। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया कानूनों को सख्त बनाना आवश्यक है।

ऑस्ट्रेलिया के नए कानून में यह भी कहा गया है कि सोशल मीडिया कंपनियां उपयोगकर्ताओं की प्रामाणिकता जानने के लिए सरकारी दस्तावेजों का इस्तेमाल नहीं करेंगी, जैसे कि पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस। यह नियम गोपनीयता को बनाए रखते हुए डिजिटल पहचान प्रणाली को अनिवार्य करने का प्रयास करेगा।

हालांकि, इस विधेयक पर कुछ विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह कानून जल्दबाजी में बनाया गया है और इसका उद्देश्य सोशल मीडिया को सुरक्षित बनाना नहीं, बल्कि भ्रम पैदा करना है। उनका मानना है कि यह कानून गोपनीयता पर हमला कर सकता है और बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है।

इस कानून का उद्देश्य बच्चों को सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलुओं से बचाना है, लेकिन इसके प्रभाव को लेकर अब भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं।

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