Edited By Rahul Singh,Updated: 30 Dec, 2024 12:23 PM
पद्मश्री से इनकार करने वाले लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल का निधन हो गया है, अंतिम समय में भी उनके बच्चों ने अंतिम संस्कार का फर्ज नहीं निभाया। लेकिन साहित्य जगत का यह सितारा बुझा जब हमेशा के लिए बुझा तो चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा छा गया। श्रीनाथ खंडेलवाल...
नेशनल डेस्क: वाराणसी के प्रसिद्ध लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल के निधन ने पूरे साहित्य जगत को हिलाकर रख दिया है। 400 से अधिक किताबें लिखने वाले और करोड़ों की संपत्ति के मालिक इस लेखक ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव को एक वृद्धाश्रम में गुजारा। उनकी मृत्यु ने एक बार फिर समाज में बड़ों के प्रति उपेक्षा और पारिवारिक रिश्तों की कमजोरी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दें शनिवार को वाराणसी के एक निजी अस्पताल में श्रीनाथ खंडेलवाल ने अंतिम सांस ली।
काशी का साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल एक जीवन, कई रहस्य
80 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। दिलचस्प बात यह है कि पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से इनकार करने वाले इस लेखक ने अपनी जिंदगी के आखिरी पल एक वृद्धाश्रम में बिताए। श्रीनाथ खंडेलवाल दसवीं फेल थे, लेकिन उनकी लेखन प्रतिभा अद्भुत थी। उन्होंने पुराणों का अनुवाद किया, हजारों पन्नों की किताबें लिखीं और अपनी लेखनी से लाखों लोगों को प्रभावित किया। उनकी किताबें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह बड़ी संख्या में बिकती थीं।
परिवार से मिली उपेक्षा
श्रीनाथ खंडेलवाल जिंदगी के अंतिम कुछ साल बेहद दर्दनाक रहे। अपने बच्चों द्वारा त्याग दिए जाने के बाद उन्हें वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके बच्चे अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं आए। बेटे ने शहर से बाहर होने का बहाना बनाया, जबकि बेटी ने फोन भी नहीं उठाया।
समाजसेवी ने निभाया अंतिम फर्ज
समाजसेवी अमन कबीर ने श्रीनाथ खंडेलवाल को वृद्धाश्रम में रहने की व्यवस्था की थी। उन्होंने ही अंतिम संस्कार का सारा जिम्मा उठाया। अमन कबीर के अनुसार, श्रीनाथ खंडेलवाल करोड़ों की संपत्ति के मालिक थे, लेकिन अपने बच्चों से उन्हें कोई सहारा नहीं मिला।
श्रीनाथ खंडेलवाल की विरासत
श्रीनाथ खंडेलवाल का निधन निश्चित रूप से एक बड़ी क्षति है। उन्होंने साहित्य जगत को अमूल्य रचनाएं दीं। उनकी कहानी हमें बड़ों के प्रति सम्मान और पारिवारिक रिश्तों के महत्व को याद दिलाती है