Edited By Palak Chopra,Updated: 10 Dec, 2024 06:36 PM
दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पांच गारंटियों की घोषणा की है और इन घोषणाओं से ऑटो ड्राइवरों को बेहतर जिंदगी मुहैया कराने के लिए पहली बार इंश्योरेंस का ऐलान किया...
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पांच गारंटियों की घोषणा की है और इन घोषणाओं से ऑटो ड्राइवरों को बेहतर जिंदगी मुहैया कराने के लिए पहली बार इंश्योरेंस का ऐलान किया गया है। पांच गारंटियों में बड़ी गारंटी है कि 10 लाख तक का इंश्योरेंस ऑटो वालों का किया जाएगा। इतना ही नहीं ऑटो ड्राइवर की बेटी की शादी में एक लाख की सहायता देने का भी अरविंद केजरीवाल ने वादा किया है। वर्दी के लिए साल में दो बार ढाई हजार के हिसाब से ₹5000 ऑटो ड्राइवर के सीधे अकाउंट में जाएंगे। यहां तक कि ऑटो ड्राइवर को अपने बच्चों की शिक्षा के लिए भी अब अधिक परेशान नहीं होना पड़ेगा।
कोचिंग का खर्चा भी सरकार उठाएगी। ‘पूछो ऐप’ को फिर से लागू किया जा रहा है जिससे न केवल ऑटो टैक्सी और बस से जुड़े ड्राइवर को सहूलियत होगी बल्कि सवारियों को भी बड़ी सुविधा मिल जाएगी। ‘पूछो एप’ अरविंद केजरीवाल सरकार ने 2015 में लागू किया था। यह जीपीएस से जुड़े ऑटो, टैक्सी, बसों को सवारियों के लिए उपलब्ध कराने का आसान तरीका था। बाद में पूछो एप निष्क्रिय हो गया। एक बार फिर इसके सक्रिय होने से आम लोगों को घऱ पर ही ट्रैवल की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। दिल्ली में एक लाख के करीब ऑटो चलते हैं और उनसे तकरीबन 20 लाख सवारी हर रोज ऑटो पर सफर करते हैं। अरविंद केजरीवाल ने ऑटो ड्राइवर ही नहीं, बल्कि आम पैसेंजर को भी लुभाने का प्रयास किया है। माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की ये घोषणाएं गेम चेंजर साबित होगी। अरविन्द केजरीवाल न सिर्फ ड्राइवरों और पैसेंजरों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हैं बल्कि वे पुराने दिनों की भी याद दिला रहे हैं जब इस समुदाय ने केजरीवाल का साथ दिया था। वे रामलीला मैदान वाले संघर्ष की भी याद दिला रहे हैं। तब ऑटो ड्राइवर अन्ना आंदोलन से जुड़े थे और उसके बाद आम आदमी पार्टी से भी वे जुड़कर रहे।
केजरीवाल यह भी बता रहे हैं कि एक समय था जब वे और मनीष सिसोदिया दिल्ली के ऑटो पर आम आदमी के लिए पोस्टर चिपकाया करते थे। ऑटो वाले आम आदमी पार्टी की टोपी लगाकर केजरीवाल के लिए प्रचार-प्रसार के काम में भी जुटे थे, ऐसा भी वक्त था। उन्हीं दिनों की याद के साथ केजरीवाल ऑटो ड्राइवरों को रिझा रहे हैं। अपने प्रयासों को ट्विटर के जरिए रखने में भी केजरीवाल उत्साहित हैं। “ये बहुत पुरानी तस्वीर है। जब नई नई पार्टी शुरू की थी। मैं और मनीष ख़ुद एक एक ऑटो के पीछे पोस्टर चिपकाया करते थे। तब से ही ऑटो वालों ने हर बार खूब साथ दिया है।” जब केजरीवाल ट्वीट कर बताते हैं कि वे ऑटो वालों को अपने घर चाय पर बुला रहे हैं और उनसे मेरा पुराना रिश्ता है तो उनका ज़ोर आम आदमी की तरह चाय और रिश्ते पर होता है। नये किस्म की सियासत करने का जो दावा केजरीवाल करते रहे हैं वह भी इस संदेश में ध्वनित होता है। एक्स पर उनके इस ट्वीट पर नज़र डालते हैं- “आज कई ऑटो चलाने वाले भाइयों को मैंने अपने घर चाय पर बुलाया है। ऑटो वाले भाइयों से मेरा बहुत पुराना रिश्ता है।”
ऑटो ड्राइवरों में चुनाव पलटने की है क्षमता
दिल्ली में जनवरी 2023 का आंकड़ा है कि 97 हज़ार रजिस्टर्ड ऑटो रिक्शा हैं। इसकी संख्या को सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख से नहीं बढ़ने देने के ऑर्डर से बांध रखा है और इसी साल जुलाई महीने में भी सर्वोच्च अदालत ने दोहराया है। औसतन 1 लाख ऑटो रिक्शा ड्राइवर दिल्ली में हैं। करीब 5 लाख लोगों का पेट ऑटो रिक्शा से चलता है। दिल्ली में ताजा आंकड़े बताते हैं कि 1.53 करोड़ वोटर हैं। उस हिसाब से तो इनकी संख्या 3.5 फीसदी के करीब होती है। लेकिन, ऑटो ड्राइवर का महत्व किसी और तरीके से है। एक ऑटो में तीन सवारी बिठाने की क्षमता होती है। अगर एक ऑटो दिन भर में 10 फेरी भी लगाता है और औसतन 25 सवारियों से भी इंटरेक्ट करता है तो ऑटो ड्राइवर जनता के बीच सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाला समुदाय है। 1 लाख ऑटो ड्राइवर 25 लाख सवारियों से हर दिन इंटरेक्ट करता है। अरविन्द केजरीवाल ने ऑटो ड्राइवरों के इसी महत्व को समझा था। सस्ता, सुलभ, प्रभावशाली चुनाव प्रचार के लिए ऑटो ड्राइवर से ज्यादा और कोई मुफीद नहीं हो सकता। उन पर अगर थोड़ा खर्च भी कर दिया जाए तो वे और भी ज्यादा मन से चुनाव प्रचार का काम करते हैं। मगर, अरविन्द केजरीवाल ने दिल जीतने और दिल का रिश्ता बनाने की पहल को बनाए रखा है जो रुपये से ज्यादा असरकारक होते हैं।
बस ड्राइवरों पर भी है आम आदमी पार्टी की नज़र
आम आदमी पार्टी ने सिर्फ ऑटो ड्राइवर ही नहीं, बस ड्राइवर और कंडक्टर को भी लुभाया है। दिल्ली में 4,500 संविदा ड्राइवर और 17,850 संविदा कंडक्टर हैं। ये हड़ताल पर चले गये थे। दिल्ली सरकार के आग्रह पर काम पर लौटे हैं। बदले में दिल्ली सरकार ने उनकी सैलरी बढ़ाने का एलान कर दिया है। संविदा कंडक्टरों का वेतन 21,900 रुपये से बढ़ाकर 29,250 कर दिया गया है। इसका मतलब है कि 7,350 रुपये प्रतिमाह वेतन बढ़ाया गया है। इसी तरह संविदा ड्राइवरों को 21,918 की जगह अब 32,918 रुपये प्रतिमाह मिला करेंगे। इसका मतलब हुआ कि 11 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन संविदा ड्राइवरों के बढ़ गये हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने संविदा कंडक्टरों और ड्राइवरों की नौकरी पक्की करने का भरोसा भी दिलाया है। उन्होंने कहा है कि इस पर काम शुरू हो चुका है। इसके अलावा निवास स्थान से पास के बस डिपो में ड्यूटी देने की मांग पर भी सरकार ने सकारात्मक सोच दिखाने का जज्बा दिखलाया है।
ये बातें पूरे डीटीसी परिवार में असर दिखलाएंगी। यहां तक कि डीटीसी बसों में मार्शलों को नौकरी से हटाने के मुद्दे को भी आम आदमी पार्टी ने भुनाने की कोशिश की है। मार्शलों को दोबारा नौकरी में बहाल कराने का भरोसा भी आम आदमी पार्टी दिला रही है। पार्टी का दावा है कि मार्शलों को नौकरी से हटाने का काम एलजी के मार्फत से बीजेपी ने किया है। इस राजनीति का मकसद भी सड़क पर आम आदमी पार्टी के प्रशंसकों को बढ़ाने और चुनाव प्रचार में बढ़त लेने की कोशिश दिखती है। आम आदमी की सियासत के माध्यमों में बड़ा माध्यम ड्राइवर हैं। झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ आम आदमी पार्टी पहले ही सफाई कर्मियों और इससे जुड़े दलित समुदाय के बीच आकर्षण का केंद्र रही है। महिलाओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं से आप सरकार पहले ही महिलाओं को जोड़ चुकी है। स्वास्थ्य सेवा या फिर शिक्षा- नीतियों के स्तर पर आप सरकार ने खुद को बाकी से अलग दिखलाया है। अब सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए अरविन्द केजरीवाल ड्राइवरों के माध्यम से बड़े मकसद को साधते दिख रहे हैं। यह प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के लिए सीख भी है और चुनौती भी कि इस सियासत का जवाब लेकर वे सामने आएं।
हरिशंकर जोशी, वरिष्ठ पत्रकार
Disclaimer- यह लेखक के निजी विचार हैं।