Ayushman Bharat Yojana : लालच में आया अस्पताल, बिना जरूरत चीर डाला मरीजों का दिल, 2 की मौत

Edited By Mahima,Updated: 14 Nov, 2024 02:50 PM

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गुजरात में आयुष्मान भारत योजना के दो लाभार्थी अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में अनावश्यक एंजियोप्लास्टी के बाद मृत पाए गए। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि सर्जरी की जरूरत नहीं थी। राज्य सरकार ने अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और...

नेशनल डेस्क: गुजरात के अहमदाबाद में एक निजी अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के दो लाभार्थियों की एंजियोप्लास्टी के बाद मौत हो गई, जिनमें से एक 59 वर्षीय नागरभाई सेनमा और दूसरे 45 वर्षीय महेश बारोट थे। राज्य सरकार ने मामले की प्रारंभिक जांच के बाद यह जानकारी दी है कि इन दोनों को एंजियोप्लास्टी की जरूरत नहीं थी, फिर भी अस्पताल ने उन्हें यह सर्जरी कराई। गुजरात के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव धनंजय द्विवेदी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सरकार की प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि कुल सात मरीजों की एंजियोप्लास्टी की गई थी, जबकि इनमें से किसी को भी इस सर्जरी की जरूरत नहीं थी। उन्होंने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि यह मामला गैर-इरादतन हत्या और आपराधिक साजिश से जुड़ा हो सकता है। 

क्या हुआ था अस्पताल में?
घटना सोमवार की है, जब दोनों मरीजों की एंजियोप्लास्टी और स्टेंट डालने की प्रक्रिया अहमदाबाद के बोदकदेव स्थित ख्याति मल्टीस्पेशियल्टी अस्पताल में की गई थी। एंजियोप्लास्टी एक हृदय सर्जरी प्रक्रिया है, जिसके तहत अवरुद्ध या संकुचित कोरोनरी धमनियों को चौड़ा किया जाता है ताकि हृदय में रक्त प्रवाह को बेहतर किया जा सके। लेकिन, जांच में यह सामने आया कि इन दोनों मरीजों को यह सर्जरी बिल्कुल नहीं चाहिए थी। इसके बावजूद, अस्पताल ने इनकी एंजियोप्लास्टी की और इसके बाद सर्जरी से जुड़ी उचित देखभाल और इलाज भी नहीं दिया गया। इसके कारण सोमवार की रात तक दोनों मरीजों की मौत हो गई। 

गुजरात सरकार का कदम
राज्य सरकार ने इस घटना को लेकर सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। स्वास्थ्य सचिव धनंजय द्विवेदी ने बताया कि सरकार अस्पताल के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और आपराधिक साजिश की शिकायत दर्ज कराएगी। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि गुजरात मेडिकल काउंसिल से अनुरोध किया जाएगा कि इस कृत्य में शामिल चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। द्विवेदी ने यह भी बताया कि घटना के बाद से राज्य सरकार ने ख्याति मल्टीस्पेशियल्टी अस्पताल को आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज देने से वर्जित कर दिया है। साथ ही, जिन डॉक्टरों ने इन मरीजों की एंजियोप्लास्टी की थी, उन्हें भविष्य में PMJAY के तहत किसी अन्य मेडिकल सुविधा में सेवाएं देने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।

PMJAY योजना और अस्पताल पर उठे सवाल
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), जिसे आयुष्मान भारत योजना भी कहा जाता है, गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है। इस योजना के तहत, लाभार्थियों को सालाना 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा मिलता है, जिससे वे गंभीर बीमारियों और सर्जरी के खर्चों से बच सकते हैं। लेकिन इस घटना ने PMJAY योजना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर निजी अस्पतालों के चयन और उपचार प्रक्रिया पर। सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और यह भी घोषणा की है कि ख्याति मल्टीस्पेशियल्टी अस्पताल द्वारा इस योजना के तहत किए गए सभी हृदय संबंधी उपचारों की जांच की जाएगी। 

अस्पताल और चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई
गुजरात सरकार ने यह भी बताया कि ख्याति मल्टीस्पेशियल्टी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसमें इस अस्पताल के मालिकों द्वारा चलाए जा रहे अन्य चिकित्सा संस्थानों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार ने जांच टीम को निर्देश दिए हैं कि वे इस अस्पताल द्वारा किए गए अन्य PMJAY उपचारों की भी समीक्षा करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

नागरिकों का गुस्सा और अस्पताल की भूमिका पर सवाल
इस घटना ने न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने वाले नागरिकों के बीच गुस्से और चिंता को जन्म दिया है। नागरिकों ने सवाल उठाए हैं कि जब योजना का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण इलाज मुहैया कराना है, तो इस तरह के गंभीर लापरवाह इलाज की अनुमति कैसे दी जा सकती है। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी और सुनिश्चित करेगी कि ऐसे अस्पतालों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े। यह घटना गुजरात में आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीरता और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है। राज्य सरकार की प्राथमिकता अब इस घटना की पूरी जांच कर दोषियों को सजा दिलवाने की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और आम नागरिकों का विश्वास स्वास्थ्य प्रणाली पर बना रहे।

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