Edited By Utsav Singh,Updated: 25 Nov, 2024 01:43 PM
संभल जामा मस्जिद हमेशा से ही विवादों का घर रहा है, लेकिन अभी तक यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर नहीं उभरा था। हाल ही में, जब कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सर्वे करने का आदेश दिया, तभी से यह मस्जिद बड़ा विवाद बन गई। आज हम आपको बताते हैं कि संभल जामा...
नेशनल डेस्क : संभल जामा मस्जिद हमेशा से ही विवादों का घर रहा है, लेकिन अभी तक यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर नहीं उभरा था। हाल ही में, जब कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सर्वे करने का आदेश दिया, तभी से यह मस्जिद बड़ा विवाद बन गई। सर्वे टीम की दूसरी बार मस्जिद में प्रवेश के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से संभल में तनाव का माहौल है, और प्रशासन ने स्कूलों को बंद कर दिया है और इंटरनेट सेवाएं भी स्थगित कर दी हैं।
क्या यह मस्जिद वास्तव में हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी?
संभल जामा मस्जिद को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह मस्जिद पहले किसी हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी? इस दावे की ऐतिहासिक और पुरातात्विक पड़ताल की गई है। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1875 की रिपोर्ट ने कई हैरान करने वाले तथ्यों को सामने रखा है। रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि यह मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।
ASI की 1875 की रिपोर्ट
1875 में ASI के अधिकारी एसीएल कार्लाइल ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें संभल जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था। इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि मस्जिद के खंभे और अन्य संरचनाएं हिंदू मंदिरों जैसी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के खंभों को प्लास्टर से ढककर छिपाने की कोशिश की गई थी। जब प्लास्टर हटाया गया, तो उसके नीचे प्राचीन लाल रंग के खंभे नजर आए, जो हिंदू मंदिरों की वास्तुकला से मेल खाते थे।
शिलालेख का संदर्भ
ASI की 1875 की रिपोर्ट में मस्जिद में एक शिलालेख का भी उल्लेख किया गया है, जिसे महत्वपूर्ण प्रमाण माना जा रहा है। इस शिलालेख में लिखा गया है कि मस्जिद का निर्माण 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा किया था। यह मीर हिंदू बेग बाबर का दरबारी था और उसने हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदलने का कार्य किया। रिपोर्ट के मुताबिक, यह शिलालेख इस बात का प्रमाण है कि यह मस्जिद एक हिंदू धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाई गई थी।
हिंदू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष का यह कहना है कि यह मस्जिद भगवान विष्णु के मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। हिंदू पक्ष ने इस दावे को बाबरनामा और ASI रिपोर्ट के आधार पर उठाया है। बाबरनामा में उल्लेख है कि बाबर के दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के एक हिंदू मंदिर को जामा मस्जिद में बदल दिया था। इसके साथ ही ASI की रिपोर्ट में भी ऐसे कई साक्ष्य हैं जो इस बात का संकेत देते हैं कि मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था।
मस्जिद के खंभे और हिंदू वास्तुकला
ASI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मस्जिद के खंभे हिंदू वास्तुकला के प्रतीक हैं। इन खंभों को मुस्लिम वास्तुकला से अलग और विशेष रूप से हिंदू वास्तुकला जैसा बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि गुंबद का जीर्णोद्धार पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में हुआ था, जो हिंदू सम्राट थे। मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिरों के कई चिह्न पाए गए, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि इस मस्जिद की वास्तुकला में हिंदू प्रभाव था।
बाबरनामा का जिक्र
हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन ने अपनी याचिका में बाबरनामा का जिक्र किया है। बाबरनामा वह पुस्तक है जिसे बाबर ने खुद लिखा था और इसका अनुवाद ब्रिटिश ओरिएंटलिस्ट एनेट बेवरिज ने किया था। बाबरनामा के पृष्ठ 687 पर उल्लेख है कि बाबर के आदेश पर उसके दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के एक हिंदू मंदिर को जामा मस्जिद में परिवर्तित किया। यह विवरण शिलालेख में दिए गए विवरण से मेल खाता है।
अगली रिपोर्ट पर नजर
अब सभी की नजर 29 नवंबर को होने वाली सर्वे रिपोर्ट पर है। इस रिपोर्ट के बाद यह सामने आएगा कि इस मस्जिद के निर्माण के बारे में और क्या तथ्य निकलकर आते हैं। इस रिपोर्ट के आने के बाद विवाद और जटिल हो सकता है, क्योंकि यह मस्जिद का इतिहास और वर्तमान विवाद दोनों को जोड़ने का काम करेगा। संभल जामा मस्जिद का विवाद सिर्फ एक धार्मिक विवाद नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और पुरातात्विक मामला भी बन चुका है। ASI की रिपोर्ट और बाबरनामा जैसे दस्तावेजों ने इस विवाद को और जटिल बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 29 नवंबर को सर्वे रिपोर्ट क्या निष्कर्ष निकालती है और इस मस्जिद के इतिहास के बारे में क्या नए तथ्य सामने आते हैं।