mahakumb

बैसाखी: जानें, जलियांवाला बाग कांड की दर्दनाक दास्तां

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Apr, 2018 07:01 AM

baisakhi painful story of jallianwala bagh kand

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की तरफ से अंग्रेजी फौज में शामिल होकर की गई कुर्बानियों के बाद भारत में सियासी तौर पर अंग्रेजों से आजादी हासिल करने की मांग ने और जोर पकड़ लिया। इस दौरान अंग्रेजों ने भारतीयों की आवाज दबाने के लिए रोलर एक्ट...

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की तरफ से अंग्रेजी फौज में शामिल होकर की गई कुर्बानियों के बाद भारत में सियासी तौर पर अंग्रेजों से आजादी हासिल करने की मांग ने और जोर पकड़ लिया। इस दौरान अंग्रेजों ने भारतीयों की आवाज दबाने के लिए रोलर एक्ट नाम का काला कानून लागू कर दिया। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकद्दमा दर्ज किए गिरफ्तार करने का प्रावधान था। अंग्रेजों के इस काले कानून के खिलाफ भारत भर में प्रदर्शन शुरू हो गए और भारतीयों ने अपने काम-धंधे बंद करके इस कानून का विरोध शुरू कर दिया।


इस दौरान 9 अप्रैल, 1919 को रामनवमी के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभायात्रा में हिंदू समुदाय के अलावा सारे समुदायों ने शामिल होकर अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया। अमृतसर के डिप्टी कमिश्रर इरविन ने अंग्रेजी हुकूमत को जमीन पर अंग्रेजों के खिलाफ उबल रहे गुस्से के बारे में जागरूक करवाया और उसी समय भारतीयों की अगुवाई कर रहे सैफुद्दीन किचलू व सत्यपाल जैसे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इन दोनों नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए और इस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प में 20 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान 5 पुलिस वाले भी मारे गए और कई लोग जख्मी हुए। घटना के अगले ही दिन हिंदू सभा स्कूल में भारतीयों ने एक बैठक करके 13 अप्रैल, 1919 वाले दिन जलियांवाला बाग में इकट्ठे होकर अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करने का कार्यक्रम तय किया। बैसाखी वाले दिन जब हजारों निहत्थे लोग जलियांवाला बाग में जमा थे तो उसी समय जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिए लोगों पर गोली चला दी। इस गोलीकांड में अंग्रेजी हुकूमतों के आंकड़ों के मुताबिक 379 लोगों की मौत हुई और 1200 लोग जख्मी हुए। हालांकि इंटरनैशनल कांग्रेस के आंकड़ों के मुताबिक मृतकों की गिनती 1000 के करीब थी। इस गोलीकांड के बाद ही देश की आजादी के लिए चल रही जंग में तेजी आई और गोलीकांड के शहीदों की शहादत ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया। 


जलियांवाला बाग नरसंहार
अंग्रेज हुकूमत के मुताबिक मृतकों की संख्या-379
इंटरनैशनल कांग्रेस के मुताबिक मृतकों की संख्या-करीब 1000
जख्मियों की गिनती-करीब 1200


जलियांवाला बाग के बारे में जानकारी 
यह बाग फतेहगढ़ साहिब के गांव जल्लां के निवासी हिम्मत सिंह के नाम पर था।


1919 में 6.5 एकड़ बाग को अधिगृहीत करने के लिए प्रस्ताव पास किया गया।


बाग के निर्माण के लिए 5,60,472 रुपए का फंड इकट्ठा किया गया।


अगस्त, 1920 में इस बाग को अधिगृहीत किया गया।

 
1 मई, 1951 को जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की गई। 


जलियांवाला बाग का डिजाइन अमरीकी डिजाइनर बेंजामिन पोल्क ने तैयार किया।


13 अप्रैल, 1961 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इस बाग का उद्घाटन किया।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!