Edited By Parminder Kaur,Updated: 31 Dec, 2024 01:04 PM
बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित नई सरकार के तहत हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में बांग्लादेश के गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने पुलिस विभाग में हिंदुओं की नियुक्ति पर...
इंटरनेशनल डेस्क. बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित नई सरकार के तहत हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में बांग्लादेश के गृह मंत्रालय और लोक सेवा आयोग ने पुलिस विभाग में हिंदुओं की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इसके तहत कांस्टेबल से लेकर उच्च पदों तक हिंदू आवेदकों के आवेदन को खारिज कर दिया गया है। साथ ही एएसपी, एसपी और डीआईजी जैसे उच्च पदों से 100 से ज्यादा हिंदू अधिकारियों को बर्खास्त भी कर दिया गया है।
इन पदों को कट्टरपंथी समूहों विशेष रूप से जमात-ए-इस्लामी के सदस्य कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा बांग्लादेश में पुलिस कर्मियों की 79,000 पदों की भर्ती प्रक्रिया भी रद्द कर दी गई है और जनवरी में नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें हिंदू आवेदकों को आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अमेरिका में हिंदू संत की रिहाई की मांग
बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आवाज उठने लगी है। बांग्लादेशी मूल के हिंदू, बौद्ध और ईसाई संगठनों ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बांग्लादेशी हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की मांग की है। इन संगठनों ने एक ज्ञापन में कहा है कि चिन्मय कृष्ण दास को बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया गया है और जेल में उनकी सेहत बिगड़ने से उनकी जान को खतरा है। कुछ दिन पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के खिलाफ अमेरिका में वाइट हाउस से कैपिटल हिल तक विरोध मार्च भी निकाला गया था।
'चिन्मय दास पर झूठे आरोप'
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने भी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग की है। परिषद के कार्यवाहक महासचिव मनिंद कुमार नाथ ने बयान जारी कर कहा कि चिन्मय कृष्ण दास और अन्य 19 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का जो मामला दर्ज किया गया है। वह पूरी तरह से झूठा और परेशान करने वाला है।