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Bangladesh Crisis : लंदन में रची गई हिंसा की साजिश, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ

Edited By Utsav Singh,Updated: 06 Aug, 2024 02:29 PM

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बांग्लादेश में सरकार गिराने की घटनाओं को लेकर खुफिया विभाग ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है।

नेशनल डेस्क : बांग्लादेश में सरकार गिराने की घटनाओं को लेकर खुफिया विभाग ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति के पीछे ISI का हाथ है। पाकिस्तान ने हिंसा फैलाने के लिए बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के छात्र शिविर नामक विंग का इस्तेमाल किया है। जमात-ए-इस्लामी को भी ISI का समर्थन प्राप्त है।

जमात-ए-इस्लामी और छात्र शिविर का संबंध
रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्र शिविर, जो बांग्लादेश में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी का एक हिस्सा है, ने हिंसा और विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए काम किया। शेख हसीना ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी, स्टूडेंट यूनियन और अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस कार्रवाई के विरोध में, इन संगठनों ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर हंगामा और विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

हिंसा का सूत्रधार: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI
खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने बांग्लादेश में हिंसा को भड़काने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया। ISI ने जमात-ए-इस्लामी के छात्र शिविर को सक्रिय किया और उसकी गतिविधियों को समर्थन दिया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि ISI ने बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में उथल-पुथल और अस्थिरता फैलाने के लिए रणनीति तैयार की।

शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र विंग ने शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। सरकार द्वारा इन संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों ने इन विरोध प्रदर्शनों को और अधिक तीव्र कर दिया। इन आंदोलनों के जरिए संगठन सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और बांग्लादेश में स्थिति को जटिल बना रहे हैं।

भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस खुलासे के बाद, भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों ने बांग्लादेश की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है। भारत ने बांग्लादेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं और स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है। इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिसमें पाकिस्तान की गतिविधियों की जांच की मांग की जा रही है।

खालिदा जिया के बेटे और आईएसआई की सांठगांठ
खुफिया विभाग की नई रिपोर्ट में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक प्रमुख खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान की लंदन में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ सांठगांठ के सबूत मिले हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश में हालिया उथल-पुथल की योजना लंदन में पाकिस्तान की आईएसआई के साथ मिलकर तैयार की गई थी। इस योजना के ब्लूप्रिंट को बनाने के बाद इसे बांग्लादेश में लागू किया गया।

सऊदी अरब में तारिक रहमान और ISI की बैठकें
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में तारिक रहमान और आईएसआई अधिकारियों के बीच हुई बैठकों के सबूत भी मिले हैं। इन बैठकों के माध्यम से बांग्लादेश में उथल-पुथल और राजनीतिक अस्थिरता फैलाने की योजना पर चर्चा की गई थी। इस साजिश का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में स्थिति को बिगाड़ना और सरकार के खिलाफ विरोध को संगठित करना था।

सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और ISI का समर्थन
रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित है कि सोशल मीडिया पर शेख हसीना की सरकार के खिलाफ 500 से अधिक भड़काऊ पोस्ट किए गए, जिनमें पाकिस्तानी हैंडल भी शामिल थे। ये पोस्ट सरकार के खिलाफ नफरत और विरोध फैलाने के लिए किए गए थे। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह बताया गया कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी की छात्र विंग को ISI का समर्थन मिला। इस संगठन का उद्देश्य बांग्लादेश में हिंसा भड़काना और छात्रों के विरोध को एक बड़े राजनीतिक आंदोलन में बदलना था।

हिंसा और विरोध की रणनीति
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने बांग्लादेश में अशांति फैलाने के लिए पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से काम किया। आईएसआई ने जमात-ए-इस्लामी के छात्र विंग को सक्रिय किया और बांग्लादेश में विरोध और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उसे समर्थन दिया। इन गतिविधियों के जरिए पाकिस्तान ने बांग्लादेश की सरकार को अस्थिर करने और वहां के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की कोशिश की है।

अमेरिका की भूमिका पर सवाल
बांग्लादेश में हिंसा को लेकर अमेरिका भी सवालों के घेरे में है। जनवरी में हुए चुनाव को अमेरिका ने खारिज कर दिया था और 14 जुलाई को अमेरिकी दूतावास ने दो छात्रों की मौत की झूठी खबर फैलाकर प्रदर्शन को और उग्र कर दिया। बाद में यह खबर वेबसाइट से हटा ली गई। इसके अलावा, बांग्लादेश में अमेरिका के राजदूत पीटर डी हास ने जमात के नेताओं के साथ गुप्त बैठक की थी। इन गतिविधियों को भी बांग्लादेश में हो रही हिंसा से जोड़कर देखा जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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