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बांग्लादेश हाईकोर्ट ने यूनुस सरकार पर दिखाई सख्ती, पूछा- हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को जमानत क्यों न दें ?

Edited By Tanuja,Updated: 05 Feb, 2025 01:18 PM

bangladesh hc ask govt explanation on chinmoy das bail denial

बांग्लादेश हाईकोर्ट ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि चिन्मय कृष्ण दास को जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए। यह जानकारी दास के वकील ...

 Dhaka: बांग्लादेश हाईकोर्ट ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि चिन्मय कृष्ण दास को जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए। यह जानकारी दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कोर्ट में दी। चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर देशद्रोह का आरोप लगा था। इस मामले में बांग्लादेश हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

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चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2024 को ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, उन्होंने चटगांव की एक निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की, जिसे 2 जनवरी 2025 को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद, दास की कानूनी टीम ने हाईकोर्ट में 12 जनवरी को जमानत के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से जमानत पर स्पष्टीकरण मांगा। वकील भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि हाईकोर्ट केवल रविवार और सोमवार को मामलों की सुनवाई करता है, और उम्मीद जताई कि मामले की सुनवाई अगले सप्ताह हो सकती है। 

 

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चटगांव में जमानत याचिका पर सुनवाई कड़ी सुरक्षा के बीच हुई थी, जहां सरकार की ओर से मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफिजुर हक भुइयां ने प्रतिनिधित्व किया था। इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास को कानूनी कार्यवाही के चलते हिरासत में रखा गया है। इससे पहले, 11 दिसंबर 2024 को बांग्लादेश की एक अदालत ने दास की प्रारंभिक जमानत याचिका को प्रक्रिया में खामी के कारण खारिज कर दिया था।

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रिपोर्ट्स के अनुसार, याचिका में वैध पावर ऑफ अटॉर्नी और वकील की उपस्थिति की कमी के कारण इसे खारिज किया गया था। इसके अतिरिक्त, दास के वकील सुभाशीष शर्मा सुरक्षा कारणों से 3 दिसंबर 2024 की सुनवाई में शामिल नहीं हो सके थे, जिससे मामला और जटिल हो गया।  अब बांग्लादेश हाईकोर्ट में जमानत की सुनवाई लंबित है और सरकार से विस्तृत स्पष्टीकरण की उम्मीद की जा रही है। मामले में आने वाले दिनों में नया मोड़ आ सकता है, क्योंकि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देना होगा।

 

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