PM हसीना बोलीं- तीस्ता परियोजना पर जिसका प्रस्ताव अच्छा होगा उसी पर करेंगे विचार

Edited By Tanuja,Updated: 26 Jun, 2024 04:21 PM

bangladesh pm says will gauge india china proposals on teesta project

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को कहा कि उनका देश भारत और चीन, दोनों के सीमापार तीस्ता नदी पर जलाशय से संबंधित एक बड़ी...

ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को कहा कि उनका देश भारत और चीन, दोनों के सीमापार तीस्ता नदी पर जलाशय से संबंधित एक बड़ी परियोजना निर्माण के लिए प्रस्तावों पर विचार करेगा तथा बेहतर प्रस्ताव को स्वीकार करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर पिछले सप्ताह भारत की यात्रा कर चुकी हसीना ने अपनी यात्रा को "बहुत उपयोगी" बताया और कहा कि भारत के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनकी वार्ता के परिणाम मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नये रास्ते खोलने में "महत्वपूर्ण भूमिका" निभाएंगे। हसीना (76) ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमने तीस्ता परियोजनाएं शुरू कीं।

PunjabKesari

चीन ने प्रस्ताव दिया है और भारत ने भी। हम दोनों प्रस्तावों का मूल्यांकन करेंगे और हमारे लोगों के हितों के संदर्भ में जो सबसे अधिक लाभकारी और स्वीकार्य होगा, उसे स्वीकार करेंगे।" यह पूछे जाने पर कि तीस्ता परियोजना के संबंध में भारत और चीन में से वह किस पक्ष का अधिक समर्थन करती हैं, हसीना ने कहा, "हम अपने देश की विकास संबंधी आवश्यकताओं के आधार पर अपनी मित्रता बनाए रखते हैं।" चीन ने इस परियोजना पर भौतिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, जबकि भारत ने तीस्ता परियोजना के क्रियान्वयन के संबंध में एक और अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त की है। माना जा रहा है कि भारत को अपने रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास एक प्रमुख परियोजना में चीन की भागीदारी पर आपत्ति है, जिसे ‘चिकन नेक' के रूप में भी जाना जाता है, जबकि बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि ढाका प्रस्ताव पर आगे बढ़ने में "भू-राजनीतिक मुद्दों को संज्ञान में लेगा।''

 

बांग्लादेश के अधिकारियों के अनुसार, चीन ने 2020 में तीस्ता नदी पर गाद निकालने के एक बड़े कार्य और भारत की किसी भी भूमिका के बिना जलाशयों और तटबंधों के निर्माण का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बांग्लादेश इस परियोजना पर आगे नहीं बढ़ा है। कई विश्लेषकों ने कहा कि इस परियोजना में चीन की भागीदारी प्रमुख साझा नदी पर भारत-बांग्लादेश विवाद को जटिल बना सकती है। वर्ष 2009 में अवामी लीग सरकार के सत्ता में लौटने के बाद से तीस्ता जल बंटवारे के समझौते पर बातचीत चल रही है, जबकि हसीना ने आज कहा कि "बांग्लादेश का भारत के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर एक पुराना मुद्दा है।''

PunjabKesari

उन्होंने कहा, "इसलिए, अगर भारत तीस्ता परियोजना करता है तो बांग्लादेश के लिए यह आसान होगा। उस स्थिति में, हमें हमेशा तीस्ता जल बंटवारे के बारे में बात करने की आवश्यकता नहीं होगी।" हसीना ने साथ ही कहा कि बांग्लादेश का भारत के साथ 54 साझा नदियों के जल बंटवारे को लेकर एक पुराना मुद्दा है, लेकिन उन्होंने कहा कि "अगर समस्याएँ हैं, तो समाधान भी हैं।'' उन्होंने कहा, "भारत तीस्ता परियोजना पर हमारे साथ सहयोग करने के लिए सहमत हो गया है। एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा जो न केवल यह तय करेगी कि पानी का बंटवारा कैसे किया जाएगा, बल्कि यह भी तय करेगी कि नदी को कैसे पुनर्जीवित किया जाए, उत्तरी क्षेत्र में खेती के लिए इसका उपयोग कैसे किया जाए और इसके नौवहन को कैसे बढ़ाया जाए।''

 

उन्होंने कहा कि जल बंटवारे पर चर्चा में नदी से गाद निकालने, तटबंधों का निर्माण और जल संरक्षण के उपाय भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, "भारत 1996 की गंगा जल संधि के 2026 में समाप्त होने के बाद एक तकनीकी टीम भेजेगा। टीम (अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ) विकल्पों की तलाश करेगी और शर्तों पर बातचीत करेगी।" वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान ढाका और नयी दिल्ली तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले थे, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सिंह के दल की सदस्य होने वाली थीं। हालांकि बनर्जी ने संधि का विरोध करते हुए अंतिम समय में दल से बाहर हो गईं। भारत और बांग्लादेश समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हुए लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के विरोध के कारण इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका।

PunjabKesari

भारतीय मीडिया की खबरों में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जलपाईगुड़ी और कूच बिहार जिलों में सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए तीस्ता नदी को मोड़ने के वास्ते दो नयी नहरें खोदने का सैद्धांतिक रूप से निर्णय लिया है। बांग्लादेश के साथ तीस्ता और गंगा नदी के जल बंटवारे पर भारत सरकार के कदम पर बनर्जी की आपत्ति के बारे में एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए हसीना ने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि यह पूरी तरह से उनका आंतरिक मामला है। हालांकि हसीना ने कहा कि उनके भारत के सभी राजनीतिक दलों के साथ अच्छे संबंध हैं जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और बनर्जी शामिल हैं। यह पूछे जाने पर कि वह अपने पांचवें कार्यकाल में भारत और चीन के बीच संबंधों के बारे में किस तरह संतुलन बनाना चाहती हैं, उन्होंने कहा कि संतुलन बनाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी सरकार एक विदेश नीति सिद्धांत का पालन कर रही है जो सुझाव देता है - "सभी से मित्रता, किसी के लिए द्वेष नहीं।''

 

हसीना ने कहा कि ढाका के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश की मुक्ति के लिए खून बहाया था। साथ ही, उन्होंने कहा कि देश को कैसे विकसित किया जा सकता है, इस बारे में चीन से सीखने के लिए बहुत कुछ है। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत और चीन के साथ संबंध बनाए रखने में कोई समस्या नहीं दिखती। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह नयी दिल्ली इसलिए गई थीं क्योंकि उन्हें पहले प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत की यात्रा करने का निमंत्रण मिला था और बाद में उन्हें भारत की राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया और अब वह चीन जाएंगी क्योंकि उस देश ने भी उन्हें आमंत्रित किया है। भारत के लिए रेल परिवहन के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत ने अपने व्यापार और वाणिज्य तथा सामाजिक-आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए रेल संपर्क को फिर से शुरू करने का फैसला किया है।  

Related Story

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!