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बांग्लादेश में हिंदू नेता की निर्मम हत्या, भारत की चेतावनी-अल्पसंख्यकों की रक्षा करो वर्ना...

Edited By Tanuja,Updated: 22 Apr, 2025 06:43 PM

bangladesh rejects india s allegation over hindu leader s death

भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक नया तनाव उस वक्त आया जब भारत ने हाल ही में एक हिंदू नेता की बर्बर हत्या को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के “व्यवस्थित उत्पीड़न” का...

Dhaka: भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक नया तनाव उस वक्त आया जब भारत ने हाल ही में एक हिंदू नेता की बर्बर हत्या को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के “व्यवस्थित उत्पीड़न” का हिस्सा बताया। जवाब में बांग्लादेश ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उत्तरी बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के बसुदेबपुर गांव में रहने वाले 58 वर्षीय हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय का शव गुरुवार रात को बरामद किया गया। उनके बेटे स्वप्न चंद्र रॉय ने आरोप लगाया कि उनके पिता को अगवा कर पीट-पीटकर मार डाला गया। उन्होंने अतीक-उर-रहमान सहित चार नामजद आरोपियों और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है।

 

भारत के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह अंतरिम सरकार के अधीन हिंदू अल्पसंख्यकों के “व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न” का प्रतीक है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “अतीत में हुई ऐसी घटनाओं में दोषियों को सज़ा नहीं मिली है।” इसके जवाब में बांग्लादेश सरकार के प्रवक्ता और अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीक-उल-आलम ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्तिगत अपराध को अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। बांग्लादेश ऐसी कोई नीति नहीं अपनाता, और हम हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करते हैं।”

 

पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया कि मृतक रॉय ने आरोपी अतीक-उर-रहमान से 25,000 टका उधार लिया था, और भुगतान में असमर्थता के चलते विवाद हुआ। बेटे स्वप्न के अनुसार, 17 अप्रैल को आरोपी उसे जरूरी बातचीत के बहाने घर से ले गए और कुछ घंटे बाद रॉय को अचेत अवस्था में घर के पास छोड़कर भाग गए। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हालांकि, बांग्लादेश सरकार का दावा है कि पोस्टमार्टम में चोट के कोई स्पष्ट निशान नहीं पाए गए हैं। अब विसरा जांच के आदेश दिए गए हैं ताकि मौत के सही कारण का पता लगाया जा सके। भाबेश चंद्र रॉय पूजा उद्जापन परिषद की स्थानीय इकाई के उपाध्यक्ष थे और किसान के रूप में कार्यरत थे। उनकी मौत ने भारत-बांग्लादेश के बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

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