Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Feb, 2025 12:51 PM
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देश में बैरियर फ्री टोल सिस्टम लागू करने की योजना पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। फास्टैग और ANPR आधारित मल्टी लेन फ्री फ्लो (MLFF) सिस्टम के जरिए टोल कलेक्शन को आसान और हाईवे ट्रैफिक को निर्बाध बनाने की कोशिश की...
नई दिल्ली: देश में बैरियर फ्री टोल सिस्टम लागू करने की योजना पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। फास्टैग और ANPR आधारित मल्टी लेन फ्री फ्लो (MLFF) सिस्टम के जरिए टोल कलेक्शन को आसान और हाईवे ट्रैफिक को निर्बाध बनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के सामने सबसे बड़ी चुनौती टोल ना देने वाले डिफॉल्टरों से वसूली सुनिश्चित करना है।
कैसे काम करेगा बैरियर फ्री टोल सिस्टम?
इस सिस्टम में परंपरागत टोल प्लाजा हटाकर लोहे के पिलर वाली गेंट्री लगाई जाएंगी, जिन पर नंबर प्लेट रीडर, फास्टैग स्कैनर और अन्य उपकरण होंगे।
- वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी।
- गाड़ियां अपनी स्पीड में ही हाईवे से गुजरेंगी और टोल अपने आप कट जाएगा।
- कैमरों और सेंसर के जरिए नंबर प्लेट और फास्टैग की पहचान कर टोल शुल्क लिया जाएगा।
कहां किया जा रहा है ट्रायल?
इसका ट्रायल दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और पानीपत-अंबाला हाईवे पर किया जा चुका है। जल्द ही यह सिस्टम दिल्ली-द्वारका एक्सप्रेस-वे, यूईआर-2, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे, गुजरात के चौरासी, हरियाणा के घरौंदा और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भी लागू किया जाएगा।
डिफॉल्टरों से वसूली होगी बड़ी चुनौती
NHAI के मुताबिक, यदि बैरियर फ्री टोल सिस्टम में टोल चोरी करने वालों की संख्या बढ़ती है, तो उससे राजस्व का नुकसान होगा। इसके समाधान के लिए विभिन्न राज्यों में डाटा स्टडी की जा रही है।
- सवाल यह है कि अगर कोई वाहन बिना टोल चुकाए गुजर जाए तो उससे वसूली कैसे होगी?
- क्या अतिरिक्त फास्टैग बैलेंस न होने पर गाड़ी को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा?
- क्या वाहन मालिकों को कानूनी नोटिस भेजे जाएंगे?
सैटलाइट टोलिंग पर भी काम जारी
बैरियर फ्री टोल सिस्टम के सफल होने के बाद सैटलाइट टोलिंग सिस्टम को भी देशभर में लागू करने की योजना है। हालांकि, इसमें अभी कई चुनौतियां बाकी हैं, जिसके कारण पहले बैरियर फ्री सिस्टम को पूरी तरह लागू करने पर जोर दिया जा रहा है।
अगर यह सिस्टम सफल रहता है, तो भविष्य में भारत में हाईवे टोलिंग पूरी तरह डिजिटल और ऑटोमैटिक हो जाएगी, जिससे टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम और कैश ट्रांजैक्शन की जरूरत खत्म हो जाएगी।