Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 03 Jan, 2025 01:11 PM
कर्नाटक के देवनागरी जिले में एक भैंस को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने सभी का ध्यान खींच लिया है। यह भैंस सिर्फ एक आम जानवर नहीं है...
नेशनल डेस्क: कर्नाटक के देवनागरी जिले में एक भैंस को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने सभी का ध्यान खींच लिया है। यह भैंस सिर्फ एक आम जानवर नहीं है, बल्कि एक मंदिर की पवित्र भैंस है, जिसे सैकड़ों लोग पूजते हैं। अब सवाल यह है कि भैंस का असली मालिक कौन है? इस सवाल का जवाब देने के लिए पुलिस ने डीएनए टेस्ट का सहारा लिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह अनोखा विवाद कुनीबेलाकेर और कुलगत्ते नामक दो गांवों के बीच हो रहा है। दोनों गांवों की दूरी करीब 40 किलोमीटर है। कुनीबेलाकेर गांव का दावा है कि यह भैंस उनकी देवी करियम्मा को आठ साल पहले समर्पित की गई थी। वहीं, कुलगत्ते गांव का कहना है कि यह भैंस उनके यहां से दो महीने पहले गायब हुई थी।
मामला तब और गर्मा गया, जब कुलगत्ते गांव के मंडप्पा रंगनवार ने दावा किया कि भैंस उनकी है। इसके बाद कुनीबेलाकेर गांव के लोगों ने भैंस पर अपना अधिकार जताते हुए कुलगत्ते गांव के सात लोगों पर चोरी का केस दर्ज करा दिया।
भैंस की उम्र बनी विवाद का कारण
भैंस की उम्र को लेकर भी विवाद है।
- कुनीबेलाकेर गांव के लोगों का कहना है कि भैंस आठ साल की है।
- कुलगत्ते गांव के लोगों का दावा है कि उसकी उम्र केवल तीन साल है।
- पशु चिकित्सकों ने जांच के बाद भैंस की उम्र छह साल बताई है, जो कुनीबेलाकेर के दावे के करीब है।
डीएनए टेस्ट से सुलझेगा विवाद
विवाद बढ़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और फिलहाल भैंस को शिवमोगा गौशाला में पुलिस कस्टडी में रखा गया है। एडिशनल एसपी विजयकुमार संतोष ने बताया कि भैंस के डीएनए सैंपल ले लिए गए हैं। रिजल्ट आने के बाद इस अनोखे विवाद का समाधान होगा।
साल 2021 में भी हुआ था ऐसा विवाद
यह पहली बार नहीं है जब देवनागरी जिले में ऐसा विवाद सामने आया हो। 2021 में भी भैंस के मालिकाना हक को लेकर ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसे डीएनए टेस्ट के जरिए सुलझाया गया था।