Edited By Rohini Oberoi,Updated: 28 Feb, 2025 12:12 PM
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छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल में एक भालू की आठ दिन पुरानी क्षत-विक्षत लाश मिली है। भालू के शव में गुप्तांग से लेकर कई अंग गायब हैं जिससे यह साफ हो गया कि यह शिकारियों की करतूत है। यह घटना जंगल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है क्योंकि वन विभाग...
नेशनल डेस्क। छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल में एक भालू की आठ दिन पुरानी क्षत-विक्षत लाश मिली है। भालू के शव में गुप्तांग से लेकर कई अंग गायब हैं जिससे यह साफ हो गया कि यह शिकारियों की करतूत है। यह घटना जंगल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है क्योंकि वन विभाग के कर्मचारियों और अफसरों को इस घटना की भनक तक नहीं लगी।
घटना का विवरण
घटना की सूचना गुरुवार को मिली जिसके बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि भालू का शव मरवाही वन मंडल और मनेंद्रगढ़ वन मंडल की सीमा पर पड़ा था। शव की स्थिति देखकर अफसरों को समझ में आ गया कि यह शिकारियों द्वारा किया गया अपराध है। शव का पोस्टमार्टम कराया गया और फिर अंतिम संस्कार किया गया।
वन विभाग की लापरवाही
इस घटना ने वन विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। मरवाही वन मंडल में नियमित गश्त नहीं होती है और न ही कर्मचारियों की पर्याप्त निगरानी होती है। अगर सुरक्षा मजबूत होती तो शिकारी जंगल के अंदर घुसने की हिम्मत नहीं करते। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि भालू शिकार हुआ था या नहीं।
पहले भी हो चुकी है भालू की मौत
यह पहली बार नहीं है जब मरवाही वन मंडल में भालू की मौत हुई है। दो महीने पहले गंगनई नेचर कैंप सालेकोटा के जंगल में एक मादा भालू शिकारी के जाल में फंस गई थी और उसकी दम घुटने से मौत हो गई थी। इस घटना के बाद भी विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए जिससे आज फिर से एक ऐसी घटना हो गई।
जांच की प्रक्रिया
इस घटना के बाद मरवाही वन मंडल ने मामले की जांच करने का निर्णय लिया है। जांच के लिए रायपुर के जंगल सफारी के डॉग स्क्वायड की मदद ली जा रही है। डॉग शुक्रवार को मरवाही पहुंचेंगे और विभाग को उम्मीद है कि इस जांच से कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे।
लापरवाही के आरोपों के तहत कार्रवाई
भालू की मौत की घटना के बाद वन विभाग ने लापरवाही के आरोपों के तहत कार्रवाई की है। सीसीएफ प्रभात मिश्रा ने उषाड़ बीट गार्ड राकेश पंकज को सस्पेंड कर दिया है क्योंकि उन पर कार्य में लगातार लापरवाही बरतने का आरोप है और यह भी सामने आया कि वह अपनी नियमित ड्यूटी पर नहीं थे।
वहीं यह घटना जंगल की सुरक्षा और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है और यह दर्शाती है कि अगर सुरक्षा के उपायों में सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में और भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं।