Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Jan, 2025 07:25 PM
राजधानी दिल्ली में 29 जनवरी को भव्य बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया गया। विजय चौक पर आयोजित इस ऐतिहासिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। सेना के बैंड्स की पारंपरिक धुनों के साथ इस...
नेशनल डेस्क: राजधानी दिल्ली में 29 जनवरी को भव्य बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया गया। विजय चौक पर आयोजित इस ऐतिहासिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। सेना के बैंड्स की पारंपरिक धुनों के साथ इस कार्यक्रम ने गणतंत्र दिवस समारोह के समापन को और भी खास बना दिया।
क्या है बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी?
बीटिंग द रिट्रीट एक ऐतिहासिक सैन्य परंपरा है, जो राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है। पुराने समय में सेनाएं युद्ध के बाद सूर्यास्त होते ही बैरक में लौटती थीं और इसी दौरान एक विशेष संगीत बजता था, जिसे बीटिंग द रिट्रीट कहा जाता था। आज भी इस परंपरा को जीवंत रखते हुए गणतंत्र दिवस के चौथे दिन इस भव्य आयोजन को किया जाता है, जिसमें राष्ट्रगान के साथ राष्ट्रीय ध्वज को उतारने की रस्म अदा की जाती है।
सेना के बैंड्स ने दी शानदार प्रस्तुति
इस साल के बीटिंग द रिट्रीट समारोह में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के म्यूजिकल बैंड्स ने भाग लिया। इन बैंड्स ने पूरी तरह स्वदेशी धुनें बजाईं, जिनकी गूंज से विजय चौक देशभक्ति की भावना से सराबोर हो गया।
प्रमुख धुनें-
* शुरुआत "कदम-कदम बढ़ाए जा" धुन से हुई।
* समापन "सारे जहां से अच्छा" की धुन पर हुआ।
* इसके अलावा, "जय भारत", "स्वदेशी", "भारत के वीर" जैसी कई प्रेरणादायक धुनें बजाई गईं।
कौन-कौन थे इस कार्यक्रम के मुख्य संचालक?
- कमांडर मनोज सेबेस्टियन – समारोह के मुख्य संचालक
- सूबेदार मेजर बिशन बहादुर – सेना बैंड के संचालक
- एम. एंटनी – नौसेना बैंड के संचालक
- वारंट ऑफिसर अशोक कुमार – वायुसेना बैंड के संचालक
- हेड कांस्टेबल जी. डी. महाजन कैलाश माधव राव – CAPF बैंड के संचालक
- सूबेदार मेजर अभिलाष सिंह – पाइप्स एंड ड्रम्स बैंड के संचालक
- नायब सूबेदार भूपाल सिंह – बग्लर्स बैंड के संचालक
रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया विजय चौक
बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के दौरान विजय चौक और आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया। रात के समय इस जगमगाते दृश्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
1952 से चली आ रही है यह परंपरा
भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत साल 1952 में हुई थी, जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप भारत के मेहमान थे। उस समय भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस आयोजन की रूपरेखा तैयार की थी। तब से हर साल यह परंपरा जारी है और अब यह गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक समापन बन गई है।
बीटिंग द रिट्रीट का महत्व
* गणतंत्र दिवस का औपचारिक समापन
* भारतीय सैन्य परंपरा को जीवंत बनाए रखना
* तीनों सेनाओं के बैंड्स की भव्य प्रस्तुतियां
* राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना
अब अगले साल फिर मिलेगा यह भव्य नजारा
बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के साथ ही गणतंत्र दिवस 2025 के समारोह का समापन हो गया। अब अगले साल फिर इसी भव्यता और शान के साथ इस परंपरा को दोहराया जाएगा।