Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Apr, 2025 12:01 PM
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। एक साधारण मजदूर, जिसकी महीने की कमाई मुश्किल से ₹15,000 है, को इनकम टैक्स विभाग से ₹314 करोड़ का नोटिस भेजा गया है। इस भारी-भरकम नोटिस ने न सिर्फ मजदूर...
नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। एक साधारण मजदूर, जिसकी महीने की कमाई मुश्किल से ₹15,000 है, को इनकम टैक्स विभाग से ₹314 करोड़ का नोटिस भेजा गया है। इस भारी-भरकम नोटिस ने न सिर्फ मजदूर की रातों की नींद उड़ा दी, बल्कि उसकी पत्नी को सदमे में डाल दिया। हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें नागपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
मुलताई में रहने वाले चंद्रशेखर कोहाड़, एक मेहनतकश मजदूर हैं, जो रोज़मर्रा की मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं। चंद्रशेखर को हाल ही में इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिला जिसमें उनके नाम 314 करोड़ रुपये के लेन-देन का ज़िक्र किया गया है। इस खबर ने पूरे परिवार को सकते में डाल दिया।
बैंक खाता और संदेह
चार साल पहले चंद्रशेखर ने नागपुर में एक प्राइवेट बैंक श्रीनाथ मंगलम में अपना खाता खुलवाया था। उस समय वे पेटी ठेकेदारी और दूध बेचने का छोटा-मोटा काम करते थे। रोज़ाना बचाए गए 200-300 रुपये वो बैंक एजेंट को देते थे, जो उनके खाते में जमा करता था। हैरानी की बात ये है कि चंद्रशेखर के खाते से मोबाइल नंबर लिंक नहीं था, जिससे उन्हें ट्रांजेक्शन की कोई जानकारी नहीं मिलती थी। पासबुक भी एजेंट के पास ही रहता था।
बैंक मैनेजर पर शक
चंद्रशेखर का मानना है कि इस पूरे मामले के पीछे बैंक मैनेजर और एजेंट की मिलीभगत है। एजेंट उनसे सिर्फ डायरी में साइन करवाता था, जबकि ट्रांजेक्शन की असल हकीकत उनसे छिपाई जाती थी। अब शक गहराता जा रहा है कि किसी बड़े घोटाले में चंद्रशेखर का नाम और खाता बिना जानकारी के इस्तेमाल किया गया है।
अकेले नहीं हैं शिकार
चंद्रशेखर इस जालसाज़ी का शिकार बनने वाले अकेले नहीं हैं। नागपुर के 20 और लोग इसी तरह की धोखाधड़ी का सामना कर चुके हैं। सभी मामलों की एक जैसी कहानी है—कमाई मामूली, लेकिन बैंक खाते में करोड़ों की एंट्री!
अब क्या होगा?
फिलहाल इनकम टैक्स विभाग और संबंधित बैंक की ओर से आंतरिक जांच की जा रही है। ये देखना बेहद जरूरी होगा कि आखिर यह 314 करोड़ का फर्जीवाड़ा कैसे और किनके जरिए हुआ। चंद्रशेखर जैसे मजदूर के नाम पर इतनी बड़ी रकम कैसे आई, यह सवाल अब पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।