Karwa Chauth 2024: करवा चौथ के दिन 21 मिनट तक रहेगा भद्रा काल, इतने बजे से पहले ही सुहागिनें ग्रहण करें सरगी...

Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Oct, 2024 11:40 AM

bhadra kaal will last till this time on the day of karva chauth

करवा चौथ हर सुहागिन के लिए एक विशेष पर्व है, जिसमें महिलाएं बिना अन्न-जल ग्रहण किए निर्जला उपवास कर अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो महिलाएं सच्चे मन से करवा चौथ का व्रत रखती हैं, उनके दांपत्य जीवन...

नेशनल डेस्क: करवा चौथ हर सुहागिन के लिए एक विशेष पर्व है, जिसमें महिलाएं बिना अन्न-जल ग्रहण किए निर्जला उपवास कर अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो महिलाएं सच्चे मन से करवा चौथ का व्रत रखती हैं, उनके दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है और उनके पति की उम्र लंबी होती है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा के साथ करवा माता की पूजा की जाती है। करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है।

करवा चौथ पर भद्रा काल का अशुभ समय
इस साल, करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, 2024 को रखा जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा का अशुभ समय भी रहेगा, जिसे हिंदू धर्म में शुभ कार्यों के लिए प्रतिकूल माना जाता है। भद्रा के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इस बार, भद्रा काल सुबह 6:24 बजे से 6:46 बजे तक रहेगा, यानी पूरे 21 मिनट तक।

भद्रा काल में न करें ये कार्य
जो महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, उन्हें भद्रा के दौरान व्रत या पूजा से जुड़े किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए। भद्रा काल के पहले ही व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और सरगी ग्रहण कर व्रत का संकल्प लें। इस दिन अपने श्रृंगार में सफेद या काले रंग का उपयोग न करें, क्योंकि इन रंगों से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।

भद्रा काल में करें ये उपाय
भद्रा काल के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए महिलाएं 12 विशेष नामों का जाप कर सकती हैं। ये नाम हैं: धन्या, महारुद्रा, कुलपुत्रिका, दधीमुखी, खरानना, भैरवी, महाकाली, असुरक्षयकाली, भद्र, महामारी, विष्टि, और कालरात्रि। इसके साथ ही निम्नलिखित मंत्र का जाप भी किया जा सकता है:

मंत्र:
धन्या दधमुखी भद्रा महामारी खरानना।
कालारात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुल पुत्रिका।
भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयन्करी।
द्वादश्चैव तु नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
न च व्याधिर्भवैत तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते।
गृह्यः सर्वेनुकूला: स्यर्नु च विघ्रादि जायते।

इस मंत्र के जाप से भद्रा काल का अशुभ प्रभाव खत्म होता है और व्रत सफल माना जाता है।

 

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