Bharat Dal Yojana: अब ऑनलाइन माध्यम से सब्सिडी वाली दाल खरीद सकेंगे लोग, जानिए क्या हैं नई सुविधाएं और कीमतें

Edited By Mahima,Updated: 23 Dec, 2024 09:45 AM

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भारत सरकार ने 'भारत दाल योजना' के तहत अब ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर सस्ती दालें उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। इसमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्विगी और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियां शामिल होंगी। योजना का उद्देश्य महंगाई पर काबू पाना और उपभोक्ताओं को सस्ती दालों की...

नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने पिछले साल ‘भारत दाल योजना’ की शुरुआत की थी, और अब इस योजना के तहत उपभोक्ता जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से सस्ती और सब्सिडी वाली दालें खरीद सकेंगे। यह योजना विशेष रूप से महंगाई को नियंत्रित करने और दालों की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे कि अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्विगी, बिगबास्केट, ज़ेप्टो, ब्लिंकिट और जियो मार्ट को सस्ती दालों की बिक्री शुरू करने का निर्देश दिया जा सकता है। 

ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सब्सिडी वाली दाल की बिक्री
भारत दाल योजना का मुख्य उद्देश्य महंगाई से प्रभावित दालों की कीमतों को नियंत्रित करना है, खासकर उन दालों की जिनकी कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जैसे मूंग, मसूर और चने की दाल। केंद्र सरकार ने इस योजना के पहले चरण की शुरुआत जुलाई 2023 में की थी, और दूसरा चरण अक्टूबर 2024 में शुरू किया गया है। इस योजना का फायदा मुख्य रूप से शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों के उपभोक्ताओं को मिलेगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में दालों की कीमतें अधिक हैं और उपभोक्ताओं को सस्ती दालों की आपूर्ति कम होती है। वर्तमान में, बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्विगी ने इस योजना के तहत दालों की बिक्री शुरू करने का वादा किया था, लेकिन अधिकांश कंपनियों ने इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया है। हालांकि, कुछ वेबसाइटों पर बिक्री शुरू हो गई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उपभोक्ता मामले के मंत्रालय का कहना है कि सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को इस योजना में भाग लेना होगा ताकि अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक सस्ती दालें पहुंचाई जा सकें।

ई-कॉमर्स कंपनियां और सस्ती दालों की बिक्री
भारत दाल योजना के तहत विभिन्न दालों को रियायती कीमतों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्विगी, बिगबास्केट, ज़ेप्टो और जियो मार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां अहम भूमिका निभाएंगी। इन प्लेटफार्म्स पर दालों की बिक्री के जरिए सरकार का उद्देश्य यह है कि देश के दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग भी सस्ती दालों का लाभ उठा सकें। हालांकि, वर्तमान में इस योजना की सफलता सीमित रही है, लेकिन सरकार इस योजना को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है। ई-कॉमर्स कंपनियों को इस योजना में पूरी तरह से शामिल करने के लिए अधिकारियों ने दबाव डाला है ताकि यह योजना अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक पहुंच सके।

दालों की बढ़ती मांग और आपूर्ति का असंतुलन
भारत में दालों की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन है। 2016 में दालों का उत्पादन 1.63 करोड़ टन था, जबकि 2024 में यह बढ़कर 2.45 करोड़ टन हो गया है। फिर भी, मांग 2.7 करोड़ टन तक पहुंच गई है, जिसके कारण दालों की आपूर्ति में कमी हो रही है। खासकर मूंग, मसूर और चने की दाल की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जो खाद्य मुद्रास्फीति का एक प्रमुख कारण बन रही है। सरकार का मानना है कि भारत दाल योजना के माध्यम से सस्ती दालों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं को महंगी दालों से बचने का मौका मिलेगा। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस योजना से ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में रहने वाले उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि इन क्षेत्रों में दालों की कीमतों में बहुत अधिक वृद्धि हो रही है। 

भारत दाल योजना के तहत दालों के दाम
भारत दाल योजना के तहत जो दालें सस्ती कीमतों पर उपलब्ध होंगी, उनकी सूची निम्नलिखित है:

- चना साबूत दाल: ₹58 प्रति किलो
- चना दाल: ₹70 प्रति किलो
- मूंग दाल: ₹107 प्रति किलो
- साबूत मूंग दाल: ₹93 प्रति किलो
- मसूर दाल: ₹89 प्रति किलो
इन दालों के रियायती दामों से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और उन्हें महंगे दालों से बचने का मौका मिलेगा। 

महंगाई और खाद्य मुद्रास्फीति पर असर
दालों की महंगाई, खासकर मूंग, मसूर और चने की दालों की, खाद्य मुद्रास्फीति पर असर डाल रही है। अक्टूबर 2024 में दालों की कीमतों में वृद्धि धीमी हुई, लेकिन मांग अब भी आपूर्ति से अधिक है। इसके अलावा, वैश्विक खाद्य तेलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमत में और भी इजाफा हो रहा है। भारत में दालों की महंगाई और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भारत दाल योजना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इसके माध्यम से सरकार उपभोक्ताओं को सस्ती और रियायती दालें उपलब्ध कराकर उन्हें महंगाई से बचाने की कोशिश कर रही है।

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