Edited By Mahima,Updated: 17 Mar, 2025 11:40 AM

भूपेश बघेल ने कहा कि उनके बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) से कोई समन नहीं मिला है और यह आरोप लगाया कि जांच एजेंसी जानबूझकर मामले को मीडिया में तूल दे रही है। उन्होंने इसे भाजपा द्वारा बदनाम करने की साजिश करार दिया। ई.डी. ने शराब घोटाले...
नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 मार्च को मीडिया में आई खबरों के बाद स्पष्ट किया कि उनके बेटे, चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) से कोई समन नहीं मिला है। बघेल का यह बयान उस समय सामने आया जब यह कहा जा रहा था कि ई.डी. ने चैतन्य बघेल को 15 मार्च को अपना बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है।
भूपेश बघेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "यदि समन नहीं मिला है, तो ई.डी. के पास जाने का सवाल ही नहीं उठता।" उन्होंने आरोप लगाया कि ई.डी. जानबूझकर मामले को मीडिया में तूल दे रही है। उनका कहना था कि जांच एजेंसी का उद्देश्य सिर्फ सनसनी फैलाना है, और यह भाजपा द्वारा उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है। बघेल ने यह भी कहा कि जब तक समन तामील नहीं होता, तब तक वे ई.डी. के समक्ष नहीं जाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "ई.डी. का काम मीडिया में सनसनी फैलाना है, और एजेंसी का इस्तेमाल लोगों को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। पिछले सात सालों से मेरे खिलाफ सीडी मामले की जांच चल रही थी, लेकिन हाल ही में अदालत ने मुझे सभी आरोपों से बरी कर दिया। यह एक राजनीतिक बदला लेने की साजिश है, जो भाजपा द्वारा रची जा रही है।" ई.डी. की छापेमारी और जांच पर भूपेश बघेल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल उन्हें और उनकी पार्टी को नीचा दिखाना है। उन्होंने कहा कि भाजपा, जो राज्य में विपक्ष में है, हताश हो चुकी है, और इसी हताशा में वह कांग्रेस नेताओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई कर रही है।
छापेमारी के दौरान ई.डी. ने लगभग 30 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज किए जब्त
ई.डी. के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 10 मार्च को ई.डी. ने दुर्ग जिले के भिलाई शहर स्थित भूपेश बघेल के घर पर शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में छापा मारा था। इस छापेमारी के दौरान ई.डी. ने लगभग 30 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज जब्त किए थे। इसके अलावा, चैतन्य बघेल के करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल सहित अन्य 13 ठिकानों पर भी तलाशी ली गई थी। ई.डी. ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब राज्य में बघेल की कांग्रेस सरकार थी।
एजेंसी के मुताबिक, इस घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में लगभग 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि गई। ई.डी. के सूत्रों ने कहा कि जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज और नकदी इस बात का संकेत देते हैं कि यह घोटाला बेहद व्यापक था और इसमें कई स्तरों पर अनियमितताएं थीं। बघेल और उनके परिवार पर आरोप है कि उन्होंने इस घोटाले से लाभ उठाया, हालांकि भूपेश बघेल ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह केवल राजनीति से प्रेरित है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
आरोप लगाते हुए कि भाजपा सत्ता में रहते हुए राजनीति के स्तर को गिरा रही
इस छापेमारी के बाद कांग्रेस ने इसे एक राजनीतिक कदम मानते हुए इसका विरोध किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 11 मार्च को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और ई.डी. के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की और पुतले जलाए, यह आरोप लगाते हुए कि भाजपा सत्ता में रहते हुए राजनीति के स्तर को गिरा रही है। भूपेश बघेल ने कहा, "यह कार्रवाई भाजपा के लिए हताशा का नतीजा है। वे जानते हैं कि अगले चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा, इसलिए वे इस तरह की छोटी राजनीतिक चालें चला रहे हैं।"