Edited By Parveen Kumar,Updated: 29 Sep, 2024 07:39 PM
मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वनरक्षकों के बाद अब अन्य कर्मचारियों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सरकार ने उनके इंक्रीमेंट में कटौती करने का आदेश जारी किया है। यह कटौती इस माह...
नेशनल डेस्क : मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वनरक्षकों के बाद अब अन्य कर्मचारियों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सरकार ने उनके इंक्रीमेंट में कटौती करने का आदेश जारी किया है। यह कटौती इस माह से लागू की जाएगी।
क्या है मामला?
सरकार का कहना है कि इन कर्मचारियों को ट्रेनिंग पीरियड के दौरान इंक्रीमेंट दिया गया था, जोकि गलत था। अब इस राशि की वसूली की जाएगी। इस प्रक्रिया में करोड़ों रुपए की वसूली की योजना बनाई गई है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ गई है। मध्यप्रदेश के वन विभाग के कर्मचारियों पर वित्त विभाग की नजर टेढ़ी हो गई है। वनरक्षकों के बाद अब वन क्षेत्रपालों यानी रेंजरों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वित्त विभाग ने रेंजरों का एक इंक्रीमेंट काटने का आदेश दिया है और कहा है कि ट्रेनिंग के दौरान इंक्रीमेंट देना गलत था।
वसूली की प्रक्रिया
वित्त विभाग ने 741 रेंजरों से 45,000 से लेकर 5 लाख रुपए तक की वसूली करने का निर्णय लिया है। इस प्रकार, रेंजरों को औसतन 2.50 लाख रुपए का झटका लगेगा। इसके अलावा, वन रक्षकों से भी वसूली के आदेश जारी किए गए हैं। उन्हें 5680 का वेतन बैंड दिया गया था, जिसे अब वित्त विभाग ने गलत बताया है। प्रदेशभर में 6592 वनरक्षकों से अतिरिक्त राशि की वसूली की जा रही है, जिसके लिए हर माह उनके वेतन से राशि काटी जाएगी। इसके साथ ही 12 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा, जिससे वनरक्षकों को 1.50 लाख से लेकर 5 लाख रुपए तक का नुकसान हो रहा है।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
वन कर्मचारी संघ और अन्य संगठनों का कहना है कि वित्त विभाग के पुराने निर्णय के आधार पर ही उन्हें वेतन बैंड दिया गया था। अब उसकी गलत व्याख्या कर वसूली की जा रही है। संगठनों ने इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की है और कहा है कि जंगल और वन्यप्राणियों की सुरक्षा में लगे वनरक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार उचित नहीं है।