Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Mar, 2025 01:41 PM

भारत में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के नियमों में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। इस बदलाव के तहत, इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस नए सिस्टम के माध्यम से, राज्य सरकारें एक ही...
नेशनल डेस्क: भारत में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के नियमों में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। इस बदलाव के तहत, इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस नए सिस्टम के माध्यम से, राज्य सरकारें एक ही स्थान पर दी जा रही शेयर्ड सर्विसेज पर उचित टैक्स वसूल करने में सक्षम होंगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू का सही तरीके से वितरण सुनिश्चित करना है। ISD मैकेनिज्म के तहत, यदि एक बिजनेस कई राज्यों में ऑपरेट करता है, तो उसे अपने कॉमन इनपुट सर्विसेज के इनवॉइस को एक स्थान पर केंद्रीकृत करने की अनुमति मिलती है। इन सर्विसेज में घरेलू या इम्पोर्टेड सर्विसेज शामिल हो सकती हैं। यह मैकेनिज्म व्यापारियों को यह सुविधा देता है कि वे अपनी शाखाओं के बीच इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को सही तरीके से वितरित कर सकें।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्या होता है?
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) वह टैक्स है जो एक रजिस्टर्ड बिजनेस या इंडिविजुअल किसी वस्तु या सेवा की खरीद पर चुकता करता है। इसे उस समय आउटपुट टैक्स के भुगतान के दौरान घटाया जा सकता है। सरल शब्दों में, ITC एक व्यापार के लिए भुगतान किए गए जीएसटी टैक्स का लाभ है, जिसे वह अपने द्वारा बेची गई वस्तुओं या सेवाओं पर चुकाए गए टैक्स से घटा सकता है।
पुरानी व्यवस्था और ISD के लाभ
इससे पहले, व्यवसायों को अपने अलग-अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशंस के बीच ITC का वितरण करने के लिए ISD या क्रॉस-चार्जिंग मेथड का इस्तेमाल करने का विकल्प था। अब, ISD मैकेनिज्म को लागू करने से, विभिन्न शाखाओं के लिए ITC का वितरण और भी आसान हो जाएगा। अगर किसी व्यापार ने ISD मैकेनिज्म का उपयोग नहीं किया, तो वह अपनी शाखाओं के लिए ITC प्राप्त नहीं कर सकेगा। इसके अलावा, अगर ITC का गलत वितरण होता है, तो टैक्स अथॉरिटीज उस राज्य से ब्याज सहित राशि वसूल सकती हैं। गलत डिस्ट्रीब्यूशन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो 10,000 रुपये या गलत डिस्ट्रीब्यूटेड ITC के मूल्य के बराबर हो सकता है, जो भी अधिक हो।
क्या होगा अगर नियमों का पालन न किया गया?
ISD मैकेनिज्म के तहत किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर, टैक्स अथॉरिटीज उस राज्य से ब्याज के साथ राशि वसूलने का अधिकार रखती हैं। साथ ही, यदि कोई व्यवसाय ITC के वितरण में गलतियां करता है, तो उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। यह जुर्माना 10,000 रुपये या गलत वितरण किए गए ITC के मूल्य का होगा, जो भी ज्यादा हो।
क्या बदलावों से व्यापारियों पर असर पड़ेगा?
इस बदलाव का व्यापारियों पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें अपने बिजनेस संचालन में इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम को सही तरीके से लागू करना होगा। अगर वे इसमें कोई लापरवाही करते हैं, तो उन्हें टैक्स या जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए व्यापारियों को 1 अप्रैल 2025 से पहले इस नए नियम को समझना और अपनी प्रणाली में लागू करना जरूरी है।