Edited By Harman Kaur,Updated: 12 Feb, 2025 04:14 PM
![big decision of delhi court said wearing short clothes is not a crime](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_16_14_319713704015-ll.jpg)
दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर छोटे कपड़े पहनना और डांस करना कोई अपराध नहीं है। दरअसल, पुलिस अधिकारी ने 7 महिलाओं पर आरोप लगाया था कि वे छोटे कपड़े पहन कर अश्लील गानों पर डांस कर रही थीं। वहीं, कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते...
नेशनल डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर छोटे कपड़े पहनना और डांस करना कोई अपराध नहीं है। दरअसल, पुलिस अधिकारी ने 7 महिलाओं पर आरोप लगाया था कि वे छोटे कपड़े पहन कर अश्लील गानों पर डांस कर रही थीं। वहीं, कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए इन आरोपों को खारिज कर दिया और सातों महिलाओं को बरी कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि छोटे कपड़े पहनना और डांस करना कोई अपराध नहीं है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
बता दें कि यह मामला पिछले साल का है, जब पहाड़गंज पुलिस ने इन महिलाओं पर "अश्लील" डांस करने का आरोप लगाया था। शिकायत में कहा गया था कि पुलिस अधिकारी गश्त के दौरान बार में पहुंचे और उन्होंने देखा कि महिलाएं छोटे कपड़े पहनकर अश्लील गानों पर डांस कर रही थीं।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि न तो डांस करना और न ही छोटे कपड़े पहनना अपराध है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर डांस करने से किसी को परेशानी नहीं हुई है, तो इस मामले में कार्रवाई नहीं की जा सकती। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि केवल किसी के पहनावे या डांस करने से किसी को समस्या नहीं हुई है, तो आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
पुलिस अधिकारी की शिकायत पर सवाल
इस मामले में पुलिस अधिकारी के बयान पर भी सवाल उठाए गए। पुलिसकर्मी ने दावा किया था कि वह गश्त के दौरान बार में पहुंचे थे, लेकिन अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी इस बात को साबित नहीं कर सके। पुलिसकर्मी द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों से यह साबित नहीं हुआ कि वह उस समय गश्त पर थे। अदालत ने पुलिसकर्मी के बयान पर संदेह जताया और उसे महत्व नहीं दिया। इसके अलावा, पुलिस ने कोई ऐसा गवाह पेश नहीं किया जो यह साबित कर सके कि महिलाओं के डांस करने से किसी को कोई परेशानी हुई हो। अदालत ने गवाहों की बयानबाजी को भी संदिग्ध माना और कहा कि यह मामला पूरी तरह से मनगढ़ंत लगता है। अदालत ने अंत में सातों महिलाओं को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत थे।