Edited By Mahima,Updated: 23 Dec, 2024 02:48 PM
केंद्र सरकार ने खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में अभूतपूर्व वृद्धि की घोषणा की है। अब मिलिंग खोपरा का MSP 11,582 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल खोपरा का MSP 12,100 रुपये प्रति क्विंटल होगा। यह MSP उत्पादन लागत से 50% अधिक तय किया गया है, जिससे...
नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने खोपरा (नारियल के सूखे हिस्से) उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने खोपरा की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में भारी वृद्धि की है, जिससे किसानों को अपनी उपज से अधिक मुनाफा मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यह महत्वपूर्ण निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा लिया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस वृद्धि की घोषणा की और बताया कि अब मिलिंग खोपरा के लिए MSP को 11,582 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल खोपरा के लिए MSP को 12,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
खोपरा MSP में अभूतपूर्व वृद्धि
केंद्र सरकार ने खोपरा उत्पादक किसानों के हित में जो फैसला लिया है, वह बहुत महत्वपूर्ण है। पहले जहां 2014 में मिलिंग खोपरा का MSP केवल 5250 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं अब यह 11,582 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो कि 121 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी तरह, बॉल खोपरा का MSP पहले 5500 रुपये प्रति क्विंटल था, अब यह 12,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो कि 120 प्रतिशत की वृद्धि है। इस तरह से खोपरा की MSP में जबरदस्त बढ़ोतरी से किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा और वे अधिक मुनाफा कमाएंगे। कृषि मंत्रालय के अनुसार, यह वृद्धि किसानों की उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक तय की गई है, जिससे उनका लाभ और भी अधिक होगा। इस MSP वृद्धि से किसानों को अपनी लागत को कवर करने के बाद भी अच्छा मुनाफा मिलेगा। इससे खेती के इस क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता आएगी और किसानों के मनोबल में वृद्धि होगी।
कर्नाटक का है सबसे बड़ा योगदान
भारत में खोपरा उत्पादन में सबसे अधिक योगदान कर्नाटक राज्य का है, जो देश के कुल खोपरा उत्पादन का 32 प्रतिशत उत्पादन करता है। इसके बाद तमिलनाडु और केरल का योगदान क्रमशः 25 प्रतिशत है, और आंध्र प्रदेश में खोपरा का उत्पादन 7.7 प्रतिशत* है। इन राज्यों के किसान इस MSP वृद्धि से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। इन राज्यों में खोपरा उत्पादन का विशाल क्षेत्र होने के कारण, उन्हें अब बेहतर दाम मिलने से उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
MSP का किसानों पर प्रभाव
केंद्र सरकार का यह कदम किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। पहले जहां खोपरा उत्पादकों को अपनी उपज के लिए कम दाम मिलते थे, अब उन्हें उच्च MSP से अधिक मुनाफा होगा। खोपरा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस फसल को उगाने के लिए प्रेरित हो सकें। इससे खोपरा का उत्पादन बढ़ेगा और इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए यह निर्णय किसानों को अधिक लाभ और समर्थन प्रदान करेगा। इस MSP वृद्धि से किसानों को केवल आर्थिक लाभ ही नहीं मिलेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि उनकी खेती से संबंधित कोई भी आर्थिक संकट सामने न आए। इससे किसानों की समृद्धि की ओर एक कदम और बढ़ा जाएगा और वे अपनी खेती में और अधिक निवेश कर सकेंगे।
खोपरा उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए प्रेरणा
सरकार का उद्देश्य केवल किसानों को उचित मूल्य देना नहीं है, बल्कि खोपरा उत्पादन को बढ़ावा देना भी है। उच्च MSP से किसानों को खोपरा उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रेरणा मिलेगी। इससे नारियल उद्योग को भी एक नई दिशा मिलेगी। नारियल के अन्य उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकार चाहती है कि देशभर में खोपरा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। इस MSP वृद्धि से नारियल तेल, नारियल मिष्ठान, नारियल पानी, और अन्य उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी, जो सीधे तौर पर किसानों के लाभ में योगदान करेगा। इसके अलावा, यह कदम नारियल उद्योग के लिए भी फायदेमंद होगा क्योंकि इससे खोपरा के उत्पादों की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक पहुंच होगी।
नेफेड और NCCF के माध्यम से MSP की खरीदारी
सरकार ने नेफेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) को इस फैसले के अंतर्गत नोडल एजेंसियों के रूप में नियुक्त किया है। इन एजेंसियों का कार्य मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत किसानों से खोपरा खरीदने का होगा। जब बाजार में खोपरा की कीमतें गिरती हैं, तब ये एजेंसियां किसानों से खोपरा खरीदने के लिए तैयार रहेंगी और उन्हें उचित मूल्य देंगी। इससे किसानों को बाजार में अस्थिरता के बावजूद नुकसान नहीं होगा। नोडल एजेंसियां बाजार की कीमतों के नीचे जाकर किसानों को न तो उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलवाएंगी, बल्कि किसानों को एक न्यायपूर्ण दाम भी मिल सकेगा। यह कदम किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
MSP का वित्तीय प्रभाव और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर
इस फैसले का कुल वित्तीय प्रभाव 855 करोड़ रुपये के आसपास होने का अनुमान है। इससे न केवल किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि खोपरा उद्योग में काम करने वाले लाखों श्रमिकों और व्यापारियों को भी फायदा होगा। बढ़े हुए MSP से खोपरा उत्पादकों के लिए जीवन स्तर में सुधार होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी, जो देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान करेगा। भारत में नारियल से जुड़े उद्योगों की बढ़ती मांग को देखते हुए, यह MSP वृद्धि नारियल उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इससे न केवल देश के अंदर खोपरा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि नारियल उत्पादों का निर्यात भी बढ़ेगा। वैश्विक बाजार में भारत की नारियल उत्पादों की स्थिति मजबूत होगी और भारतीय उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
नारियल उद्योग और किसानों के लिए आगे के अवसर
इस MSP वृद्धि से सरकार का मुख्य उद्देश्य खोपरा उत्पादन में वृद्धि और किसानों की आय में सुधार है। नारियल तेल और अन्य उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण खोपरा उत्पादन में तेजी आएगी। इससे न केवल किसानों को अधिक मुनाफा होगा, बल्कि नारियल उद्योग के लिए भी नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इस फैसले से न सिर्फ नारियल उत्पादक राज्य के किसान लाभान्वित होंगे, बल्कि भारत में नारियल से जुड़े अन्य उद्योगों जैसे नारियल तेल, नारियल दूध, नारियल मिष्ठान और नारियल पानी के उत्पादन में भी वृद्धि होगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित होगा। केंद्र सरकार का यह कदम खोपरा उत्पादकों के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ है। अब किसानों को अपनी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इससे न केवल किसानों के जीवन स्तर में सुधार होगा, बल्कि खोपरा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और नारियल उत्पादों की वैश्विक मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। भारत सरकार की यह पहल न सिर्फ किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे नारियल उद्योग के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आएगी।