Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Apr, 2025 11:04 AM
बिहार की सियासी जमीन फिर से गर्म होने लगी है। चुनाव आयोग ने 243 विधानसभा सीटों पर संभावित अक्टूबर-नवंबर चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। बूथ लेवल एजेंट्स को ट्रेनिंग देने से लेकर चुनावी मैनेजमेंट तक, हर स्तर पर हलचल शुरू हो चुकी है। इस बार की...
नेशनल डेस्क: बिहार में जैसे-जैसे चुनावी माहौल गर्म हो रहा है, वैसे-वैसे वोट बैंक की गणित पर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। जाति और धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण यहां की राजनीति की खास पहचान रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि बिहार में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या कितनी है, और किस वर्ग के पास सबसे ज़्यादा वोटिंग पावर है?
बता दें कि चुनाव आयोग ने 243 विधानसभा सीटों पर संभावित अक्टूबर-नवंबर चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। करीब 200 बूथ लेवल एजेंट्स को ट्रेनिंग देने से लेकर चुनावी मैनेजमेंट तक, हर स्तर पर हलचल शुरू हो चुकी है। इस बार की लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं होगी, बल्कि वोट बैंक की दिशा तय करने वाली ताकतों के बीच एक निर्णायक टकराव होगी।
मुस्लिम वोट बैंक: नजरें टिकी हैं इस बड़े समीकरण पर
बिहार की राजनीति में मुस्लिम समुदाय हमेशा से एक निर्णायक भूमिका निभाता आया है।
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2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल आबादी करीब 10.4 करोड़ थी, जिसमें से 16.9% यानी लगभग 1.76 करोड़ लोग मुस्लिम समुदाय से थे।
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2023 की जातीय जनगणना के अनुसार, राज्य की जनसंख्या बढ़कर 13 करोड़ हो गई, और मुस्लिमों की हिस्सेदारी 17.7% दर्ज की गई।
सीमांचल में मुस्लिमों का दबदबा
बिहार के सीमांचल क्षेत्र यानी अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, और कुछ हद तक पटना व भागलपुर में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। यह इलाका लंबे समय से मुस्लिम वोट बैंक का केंद्र रहा है, जहां से कई बार सियासी समीकरण उलटफेर करते देखे गए हैं।
जातीय गणित: सबसे बड़ा वोट बैंक कौन?
बिहार में सिर्फ धर्म नहीं, जाति आधारित राजनीति भी उतनी ही मजबूत है। जातिगत वोट बैंक की बात करें तो —
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अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC): 36.01%
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पिछड़ा वर्ग (OBC): 27.12%
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अनुसूचित जाति (SC): 19.65%
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अनारक्षित वर्ग: 15.5%
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अनुसूचित जनजाति (ST): 1.68%
यह आंकड़े बताते हैं कि आने वाले चुनाव में EBC और OBC वोटर्स सबसे निर्णायक साबित हो सकते हैं, लेकिन अगर मुस्लिम मतदाता एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी गठबंधन को बड़े स्तर पर फायदा या नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सियासी दलों की नजरें किस पर?
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार एक बार फिर सत्ता में वापसी का सपना देख रही है, वहीं विपक्ष भी जाति जनगणना और सामाजिक समीकरणों के दम पर चुनावी चक्रव्यूह तैयार कर रहा है। इस बार सभी पार्टियों की कोशिश होगी कि मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में किया जाए, खासकर सीमांचल जैसे इलाकों में।