बिहार को नहीं मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा, अब किस करवट बैठेंगे नीतीश कुमार

Edited By Rahul Rana,Updated: 22 Jul, 2024 05:40 PM

bihar will not get the status of a special state

संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और सरकार 23 जुलाई को बजट पेश करने वाली है। इससे ठीक पहले बिहार को एक तगड़ा झटका लगा है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।

नेशनल डेस्क :संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और सरकार 23 जुलाई को बजट पेश करने वाली है। इससे ठीक पहले बिहार को एक तगड़ा झटका लगा है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। इसका लिखित जवाब वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया है और उसमें कहा है कि अंतर-मंत्रालयी समूह की 2012 की रिपोर्ट के आधार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। इसको लेकर JDU के नेता जनता दल यूनाइटेड के नेता राम पिरित मोंडल ने वित्त राज्य मंत्री से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो विस्तार में इसकी जानकारी दें। अगर नहीं दिया जाता है तो इसकी वजह बताएं। पंकज चौधरी ने इसी के जवाब में लिखा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। वित्त मंत्री ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न देने की वजह लिखित जवाब में बताई। उन्होंने कहा कि अतीत में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने योजना सहायता के लिए कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया था, जिनकी कई विशेषताएं ऐसी थीं, जिनके लिए विशेष विचार की आवश्यकता थी। बिहार के मामले में परिस्थितियां ऐसी नहीं हैं कि उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। इस वजह से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।


झारखंड की स्थापना और विशेष राज्य

बात है 15 नवंबर 2000 की जब झारखंड बनने के वक्त बिहार में राजद और केंद्र में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी। उस वक्त भी बिहार की तत्कालीन सरकार और मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इसकी मांग उठाई। लेकिन, कहीं न कहीं राजनीतिक श्रेय लेने के चक्कर में यह मांग पूरी नहीं हुई। फिर 2005 में राज्य में राजद के शासन का अंत हुआ और नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू-भाजपा की सरकार बनी। लेकिन, उधर केंद्र में भी सत्ता बदल गई और एनडीए की सरकार चली गई। 2004 के लोकसभा चुनाव में वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए की हार हुई थी।  फिर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र में यूपीए की सरकार बनी। यहां भी वही पुराना खेल शुरू हो गया नीतीश मनमोहन सरकार से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगते रहे लेकिन राजनीतिक श्रेय की लड़ाई में यह मांग कभी पूरी नहीं हुई।

किन परिस्थितियों में दिया जाता है विशेष राज्य का दर्जा
1. पहाड़ी और कठिन इलाका
2. कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी आबादी की बड़ी संख्या
3.पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर अहम रणनीति स्थिति
4. आर्थिक पिछड़ापन और मूलभूत सुविधाओं की कमी
5. राज्य में वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति 


ढाई दशक बाद बना संयोग
ढाई दशक बाद ऐसा संयोग बना है कि केंद्र में एनडीए सरकार और राज्य में भी एनडीए के साथ गठबंधन साथ सरकार है तो केंद्र सरकार भी बिहार के लिए कुछ करने को मजबूर होगी। पर बजट से एक दिन पहले सरकार ने साफ कर दिया कि मौजूदा प्रावधानों में किसी राज्य को विशेष दर्जा देने की कोई व्यवस्था नहीं है।

गठबंधन में आ सकती है खटास!
इससे बिहार एनडीए के भीतर भी खटास बढ़ेगी। केंद्र की मोदी कैबिनेट में भी जेडीयू को न तो मनचाहा मंत्रालय और न ही मनचाहा मंत्री पद मिला ऐसे में नीतीश के सामने एक ही विकल्प है। अपनी पार्टी को मजबूत कर 2025 के विधानसभा की तैयारी करना। इस चुनाव में वह भाजपा के साथ बराबरी की डील करने पर जोर देगी। वह 2020 में हुए नुकसान की भरपाई करना चाहेंगे साथ ही बिहार सरकार में वह ज्यादा ताकत के साथ अपनी जेडीयू की मौजूदगी दर्ज करवाएंगे।

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